ये दूरी ये जुदाई मुझे ना रास आई भजन

ये दूरी ये जुदाई मुझे ना रास आई भजन

ये दूरी, ये जुदाई,
मुझे ना रास आई,
तेरे बिना ये संसार,
सुन ले मेरे लखदातार,
लगे जैसे हो गहरी खाई,
ये दूरी, ये जुदाई,
मुझे ना रास आई।।

जिस ओर जहां भी मैं देखूं,
धोखा और झूठ नज़र आए,
मोह, माया और रिश्ते~नाते,
सब छल से मिले बशर आए,
इनसे होके मैं लाचार,
आया तेरे दरबार,
झूठी प्रीत ना मुझको भायी,
ये दूरी, ये जुदाई,
मुझे ना रास आई।।

ये दुनिया पागलखाना है,
तेरा दर ही मेरा ठिकाना है,
तेरे नाम की मस्ती का प्यासा,
तेरा दर मेरा मैखाना है,
चढ़ा जबसे खुमार,
रटूं यही बार~बार,
है प्यार की ये गहराई,
ये दूरी, ये जुदाई,
मुझे ना रास आई।।

धीरज तेरे दर से मिला मुझको,
दीवाना तेरा मैं बन बैठा,
बन कर के लहू मेरी नस~नस में,
तेरे प्यार का सागर उमड़ बैठा,
मुझपे तेरा है अधिकार,
मेरे खाटू के सरकार,
अब सुन ले मेरी दुहाई,
ये दूरी, ये जुदाई,
मुझे ना रास आई।।

ये दूरी, ये जुदाई,
मुझे ना रास आई,
तेरे बिना ये संसार,
सुन ले मेरे लखदातार,
लगे जैसे हो गहरी खाई,
ये दूरी, ये जुदाई,
मुझे ना रास आई।।


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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