लाओ लाओ हनुमान संजीवनी
लाओ लाओ, हनुमान संजीवनी,
मेरा लक्ष्मण भ्राता जमी पर पड़ा,
लाओ लाओ हनुमान संजीवनी,
मेरा लक्ष्मण भ्राता जमी पर पड़ा,
श्री राम की आँखों से आँसू बहे,
उठ खड़ा हो तुझे श्री राम कहे,
तीनों लोकों में यूँ खलबली मच गईं,
देखो अम्बर में है घनघोर घटा,
लाओ लाओं हनुमान संजीवनी,
मेरा लक्ष्मण भ्राता जमीं पर पड़ा,
मेघनाथ ने शक्ति चलाई ऐसी,
यूँ धरा पर पड़ा आज रघुकुलवँशी,
मैं भी मर जाऊँ सुन आज तेरे बिना,
मुझको उठ के तू जल्दी गले से लगा,
लाओ लाओ हनुमान संजीवनी,
मेरा लक्ष्मण भ्राता जमीं पर पड़ा,
इतनी सुनकर हनुमान उड़ने लगे,
जाके पर्वत पे फिर भयभीत हो गए,
माया फैली वहाँ पे थी लंकेश की,
एक जैसा ही सब कुछ था दीखता वहाँ,
लाओ लाओं हनुमान संजीवनी,
मेरा लक्ष्मण भ्राता जमीं पर पड़ा,
पूरा पर्वत उठाके हनुमान जी,
झट लंका में पहुंचे थे बलवान जी,
देख हनुमान को सब उछलने लगे,
"सोनू शर्मा" कहे फिर लखन जी जगा,
लाओ लाओं हनुमान संजीवनी,
मेरा लक्ष्मण भ्राता जमी पर पड़ा,
लाओ लाओ हनुमान संजीवनी,
मेरा लक्ष्मण भ्राता जमीं पर पड़ा,
लाओ लाओ हनुमान संजीवनी,
मेरा लक्ष्मण भ्राता जमीं पर पड़ा,
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Author - Saroj Jangir
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