साधो भाई अवगत लिखियो ना जाई

साधो भाई अवगत लिखियो ना जाई

 
साधो भाई अवगत लिखियो ना जाई Sadho Bhai Avgat Likhiyo Na Jaai Lyrics

साधो भाई अवगत लिखियों ना जाई,
जो कोई लिखसी संन्त शूरमा, नूरा में नूर समाई,

जैसे चंदा उदक में दरसे, ज्यूँ सायब सब माहीं,
दे शष्मा घट भीतर देखो, नूर निरन्तर नहीं,

उरां से उरां दुरा से दुरा, हरि हिरदा के माहीं,
सपना में नार गमायो बालू, जाग पड़ी जब वाही,

जाग्रत जोत जगे घट भीतर, ज्यां देखूँ वा सांई,
उगा भांण बीत गई रजनी, हरि हम अंतर नाहीं,

ममता मेट मिलो मोहन से, गुरां से गुरु ग़म पाई,
कहे बन्ना नाथ सुणो भाई, संता अब कुछ धोखा नाहीं,


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