श्री बांके बिहारी लाल गोपाल
श्री बांके बिहारी लाल गोपाल
श्री बांके बिहारी लाल, गोपाल,
मन्न रखियों अपने चरनन में
मन्न रखियो अपने चरनन में,
मन्ने रखियो श्री वृन्दावन में,
तेरे शीश पे मुकुट विराज रहा,
कानों में कुण्डल साज रहा,
तेरे गल वैजन्ती माल, गोपाल,
मन्ने रखियो अपने चरनन में,
तेरे नैनों में सुरमा साज रहा,
तेरे मुख में वीणा राज रहा,
तेरी थोडी में हिरा लाल, गोपाल,
मन्ने रखियो अपने चरनन में,
तेरे हाथ लकुटियाँ साज रही,
पैरो में पजनियाँ बाज रही,
तेरी मुरली करे निहाल,गोपाल,
मन्ने रखियो अपने चरनन में,
मन्न रखियों अपने चरनन में
मन्न रखियो अपने चरनन में,
मन्ने रखियो श्री वृन्दावन में,
तेरे शीश पे मुकुट विराज रहा,
कानों में कुण्डल साज रहा,
तेरे गल वैजन्ती माल, गोपाल,
मन्ने रखियो अपने चरनन में,
तेरे नैनों में सुरमा साज रहा,
तेरे मुख में वीणा राज रहा,
तेरी थोडी में हिरा लाल, गोपाल,
मन्ने रखियो अपने चरनन में,
तेरे हाथ लकुटियाँ साज रही,
पैरो में पजनियाँ बाज रही,
तेरी मुरली करे निहाल,गोपाल,
मन्ने रखियो अपने चरनन में,
श्री कृष्ण को बांके बिहारी इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह अपने रूप और
सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं। "बांके" का अर्थ है "सजीला" और "बिहारी" का
अर्थ है "वृंदावन में रहने वाला"। इसलिए, श्री कृष्ण को बांके बिहारी कहा
जाता है क्योंकि वह एक सुंदर युवक हैं जो वृंदावन में रहते हैं। बांके
बिहारी मंदिर वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह
मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिन्हें बांके बिहारी के रूप में भी
जाना जाता है। मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में स्वामी हरिदास ने की थी।
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Author - Saroj Jangir
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