पर्वत से उतर कर माँ मेरे घर आ जाना भजन

पर्वत से उतर कर माँ मेरे घर आ जाना भजन

(मुखड़ा)
पर्वत से उतर कर माँ, मेरे घर आ जाना,
मैं भी भगत तेरा, मेरा मान बढ़ा जाना।।

(अंतरा 1)
मैया तेरे बेटे को, तेरा ही सहारा है,
जब-जब कष्ट पड़ा, मैंने तुझे पुकारा है।
अब देर करो ना, मेरी माँ, दौड़ी-दौड़ी आ जाना,
पर्वत से उतर कर माँ, मेरे घर आ जाना।।

(अंतरा 2)
ना सेवा तेरी जानूँ, ना पूजा तेरी जानूँ,
मैं तो हूँ अज्ञानी माँ, तेरी महिमा ना जानूँ।
मैं लाल तू मैया मेरी, बस इतना ही जाना,
पर्वत से उतर कर माँ, मेरे घर आ जाना।।

(अंतरा 3)
जब आओगी घर माँ, मैं चरण पखारूँगा,
चरणों की धूल तेरी, मैं माथे से लगाऊँगा।
मैं चरणों में शीश रखूँ, तुम हाथ बढ़ा जाना,
पर्वत से उतर कर माँ, मेरे घर आ जाना।।

(अंतरा 4)
माँ रहता हूँ हर पल, बस तेरे ही आधार,
ये माँग रहा है ‘विशाल’, बस थोड़ा सा प्यार।
माँ अपने ‘महेश’ को तू, राह दिखा जाना,
पर्वत से उतर कर माँ, मेरे घर आ जाना।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
पर्वत से उतर कर माँ, मेरे घर आ जाना,
मैं भी भगत तेरा, मेरा मान बढ़ा जाना।।
 


Ude Lal Chunariya Maa Ki - Parvat Se Utar Kar Maa | Gujarati Garba Bhakti 2018 | Vishal Joshi |
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