सास मेरी न्यूं उठ बोली पीसणा चाकी
सास मेरी न्यूं उठ बोली,
पीसणा चाकी पै धर दे,
मैं अलबेलण समझी कोन्यां,
सास चाकी पे धर दी,
सुसरा मेरा न्यूं उठ बोल्या,
चिलम ने हुक्के पे धर दे,
मैं अलबेलण समझी कोन्यां,
सुसरा हुक्के पै धर दिया,
जेठ मेरा न्यूं उठ बोल्या,
काठड़ा खूँटे के बाँधो,
मैं अलबेलण समझी कोन्यां,
जेठ खूँटे के बाँध्या,
देवर मेरा न्यूं उठ बोल्या,
मोबाइल ने आळे (रैक) में धर दे,
मैं अलबेलण समझी कोन्यां,
देवर आले में धर दिया,
नणदी मेरी न्यूं उठ बोली,
टोकणी पेंढ़ी पै धर दो,
मैं अलबेलण समझी कोन्यां,
नणदी पेंढ़ी पे धर दी,
सास चाकी पे नाचे,
सुसरा हुक्के पे नाचे,
जेठ खूंटे पे नाचै
देवर आले में नाचे,
नणदी पेंढ़ी पे नाचे,
सारा कुनबा नाचे नाचे,
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सास मेरी न्यू उठ बोली पीसणा चाक्की पै धर दे - हरियाणवी लोकगीत || गायिका रेखा गर्ग (LOK GEET)
Title - Saas Meri Nyu Uth Boli
Singer - Rekha Garg
Music - Rinku Gujral
Lyrics & Composer - Traditional
Editing - KV SainLabel - Fine Digital Video
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