काल करे सो आज कर आज करे सो अब हिंदी मीनिंग Kaal Kare So Aaj Kar Aaj Kare So Aub Hindi Meaning

काल करे सो आज कर आज करे सो अब हिंदी मीनिंग Kaal Kare So Aaj Kar Aaj Kare So Aub Hindi Meaning

काल करे सो आज कर आज करे सो अब हिंदी मीनिंग/व्याख्या
Kaal Kare So Aaj Kar Aaj Kare So Aub-Hindi Meaning
Kabir Ke Dohe Hindi Meaning
 
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगो कब। 
Kaal Kare So Aaj Kar, Aaj Kare So Ab,
Pal Mein Pralay Hoegee, Bahuri Karego Kab. 
or
Kaal Kare So Aaj Kar, Aaj Kare So Aub,
Pal Me Pralay Hoyegi, Bahuri Karega Kub. 
 
काल करे सो आज कर आज करे सो अब हिंदी मीनिंग Kaal Kare So Aaj Kar Aaj Kare So Aub Hindi Meaning
 

दोहे का हिंदी भावार्थ : शाब्दिक अर्थ है की व्यक्ति को जो भी कार्य करने हैं वे समय पर पूर्ण कर लेने चाहिए। आलस्य के कारण व्यक्ति आज के कार्य कल पर टाल देता है और वह दुखी रहता है। भाव है की आलस्य का त्याग करके व्यक्ति अपने समय को नष्ट करता है और जीवन भी अल्प समय के लिए ही है एक रोज समाप्त होना है। मृत्य समझो की द्वार पर ही खड़ी है उसे आने में देर नहीं लगती है इसलिए जीव को अपने अमूल्य समय को आलस्य में बर्बाद करने के स्थान पर हरी के नाम का सुमिरण करना चाहिए। यह शरीर मन के द्वारा संचालित होता है और यदि मन पर आलस्य का प्रभाव हो तो वह शरीर को भी निष्क्रिय कर देता है। 
 
आलस्य के वशीभूत एक ही स्थान पर पड़े रहने पर जंग लगती है और घिसने पर चमक पैदा होती है। इसी तथ्य को कबीर साहेब ने इस दोहे में समझाने का प्रयत्न किया है। आलस्य का त्याग करना ही अमृत पद है। आलस्य पर ही साहेब की वाणी है की रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय, हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय . भाव है की अनमोल मानव जीवन को यूँ ही आलस्य के वश में आकर समाप्त कर दिया है। यहाँ नींद है अज्ञान, ज्ञान का अभाव ही नींद है। अज्ञान का अँधेरा तभी दूर हो सकेगा जब हम सत्य के दिए को जलाएंगे।
 
English Meaning : Literally means whatever work a person has to do, they should complete on time. Due to laziness, a person postpones today's work and remains unhappy. Due to laziness a person wastes his time and life is also for a short time, one day has to end. Understand that the Kaal is standing at the door, it does not take huge time to come, so the creature should not waste his precious time in idleness of Agyana, remembering Hari's name. This body is governed by the mind and if there is an effect of laziness on the mind, it also makes the body inactive. Kabir Sahib has tried to explain this fact in this couplet that we should leave laziness and start the Sumirana
 
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय।।
Sai Itana Deejiye, Ja Me Kutum Samaay।
Main Bhi Bhukha Na Rahun, Saadhu Na Bhukha Jay।।
 
कबीर के दोहे हिंदी में : सभी दोहे देखे Kabir Ke Dohe Hindi Me (सभी दोहे देखें)

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 दोहे का हिंदी भावार्थ : ईश्वर के प्रार्थना है की वह बस इतना दे की स्वंय की उदरपूर्ति हो सके और घर आया साधू/याचक भी खाली हाथ नहीं जाए, भूखा नहीं जाए। भाव है की व्यर्थ में माया के चक्कर में पड कर अनमोल मानव जीवन को मिटटी में समाप्त नहीं करना चाहिए, इसके महत्त्व को समझना चाहिए। व्यक्ति का जीवन आराम से चले बस इतना ही मिल जाए तो काफी है।
मन हीं मनोरथ छांड़ी दे, तेरा किया न होई।
पानी में घिव निकसे, तो रूखा खाए न कोई।।
Man Heen Manorath Chhaandee De, Tera Kiya Na Hoee.
Paanee Mein Ghiv Nikase, To Rookha Khae Na Koee.
 
दोहे का हिंदी भावार्थ : मन के मनोरथ का कुछ भी नहीं होता है, होता वहीं है जो ईश्वर को मंजूर होता है। यदि पानी को मथने से ही घी की प्राप्ति होती हो तो कोई भी रुखा नहीं खाता है। भाव है की इस संसार के व्यर्थ कार्यों से कुछ प्राप्त नहीं होने वाला है,  जैसे घी दूध से ही प्राप्त हो सकता है, पानी को मथने से नहीं वैसे ही इस जीवन का सार परम ब्रह्म है बाकी सभी व्यर्थ की 
 बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
Bura Jo Dekhan Main Chala, Bura Na Miliya Koy,
Jo Dil Khoja Aapana, Mujhase Bura Na Koy.

दोहे का हिंदी भावार्थ : व्यक्ति अपने जीवन में दूसरों का विश्लेषण करने में व्यस्त रहता है, स्वंय का विश्लेष्ण नहीं करता है। यदि वह स्वंय के भीतर झाँकने का प्रयत्न करें तो पायेगा की उसमें ही तमाम तरह के विकार भरे पड़े हैं। भाव है की व्यक्ति को दूसरों के विकारों में ढूँढने के स्थान पर स्वंय के विकार दूर करने में अपने समय को लगाना चाहिए। स्वंय में असंख्य बुराइयां है, जिन्हें वह दूर कर ले तो उसका जीवन सार्थक है।
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय।
हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय॥
Raat Ganvaee Soy Ke, Divas Ganvaaya Khaay
Heera Janm Amol Sa, Kodee Badale Jaay

दोहे का हिंदी भावार्थ : मानव जीवन अनमोल है, बहुत ही जतन के उपरान्त इसे प्राप्त करते हैं तो फिर इसे आलस्य और माया के भ्रम में पडकर व्यर्थ में खो देना उचित नहीं है। यह जीवन हीरे के समान है बहुमूल्य है जिसके महत्त्व को समझना चाहिए। मुर्ख व्यक्ति माया के चक्कर में पड़कर हीरे जैसे जनम को कौड़ी में बदल कर रख देता है।  भाव है की यह जीवन खाने और सोने के लिए नहीं मिला है बल्कि हरी के सुमिरण के लिए मिला है और यही इस जीवन का उद्देश्य भी है।
कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी।
एक दिन तू भी सोवेगा, लम्बे पाँव पसारी।
Kabeer Suta Kya Kare, Jaagee Na Jape Muraaree.
Ek Din Too Bhee Sovega, Lambe Paanv Pasaaree.
 
दोहे का हिंदी भावार्थ : अज्ञान की नींद सोने पर व्यंग्य है की एक रोज तो लम्बे पाँव पसार कर (मृत्यु पर) सोना ही है तो क्यों नहीं हरी के नाम का सुमिरण कर लिया जाए ! यहाँ नींद को अज्ञान से लिया गया है । माया के कारण अज्ञान उत्पन्न होता है और इसी पर व्यंग्य है की व्यक्ति को इस अज्ञान की नींद को तज करके हरी नाम का सुमिरण करना चाहिए।

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कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और।
हरि रुठे गुरु ठौर है, गुरु रुठे नहीं ठौर॥
Kabeera Te Nar Andh Hai, Guru Ko Kahate Aur.
Hari Ruthe Guru Thaur Hai, Guru Ruthe Nahin Thaur.
 
दोहे का हिंदी भावार्थ : ऐसे व्यक्ति अंधे हैं जो हरी से विमुख हो जाते हैं और गुरु को पराया मान लेते हैं । यदि हरी रूठ जाए तो गुरु का सहारा होता है लेकिन यदि गुरु ही रूठ जाए तो फिर ऐसे व्यक्ति का कोई ठिकाना नहीं होता है। भाव है की गुरु की महिमा ईश्वर तुल्य है क्योंकि गुरु ही सद्मार्ग को चिन्हित करता है और मुक्ति पथ पर व्यक्ति को अग्रसर करता है। 
जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही |
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही ||
Jab Main Tha Tab Haree Nahin, Ab Haree Hai Main Naahee |
Sab Andhiyaara Mit Gaya, Deepak Dekha Maahee ||

काल करे सो आज कर आज करे सो अब हिंदी मीनिंग Kaal Kare So Aaj Kar Aaj Kare So Aub Hindi Meaning

दोहे का हिंदी भावार्थ : जब तक अहम् (मैं) रहता है ईश्वर का भान नहीं होता है, जब अहम् शांत होता है तो हरी के दर्शन सुलभ होने लगते हैं। अहम् के शांत होने के उपरान्त हृदय में प्रकाश उत्पन्न हो जाता है और हृदय में ज्ञान के दीपक से उत्पन्न प्रकाश में सभी आयाम स्पष्ट नजर आने लगते हैं।

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