काळे ठुवादे मन्नै मटकी भजन
चलो सखी उस देश में,
जहाँ कृष्ण जी राज,
नीर भरा और दर्शन करां,
एक पंथ दो काज,
श्याम प्यारे ओ ठुवादे मन्नै मटकी,
उठादे मन्न मटकी, ठुवादे मन्नै मटकी,
कृष्ण काळे, ठुवादे मन्नै मटकी,
श्याम प्यारे हो, ठुआदे मन्नै मटकी,
और सखी जल भर भर सटगी,
राख दिये हो, लाज पनघट की,
श्याम प्यारे हो, ठुआदे मन्नै मटकी,
मटकी फोड़ी दही खिंडाई,
लागी लागी हो कमर में लचकी,
श्याम प्यारे हो, ठुआदे मन्नै मटकी,
बीच भँवर में नाव पड़ी है,
लादे लादे हो नाँव मेरी अटकी,
श्याम प्यारे हो, ठुआदे मन्नै मटकी,
इस कीर्तन ने पार लगा दो,
बुद्धि मेरी हो भ्रम में अटकी,
श्याम प्यारे हो, ठुआदे मन्नै मटकी,
कृष्ण काले हो, ठुआदे मन्नै मटकी,
श्याम प्यारे हो, ठुआदे मन्नै मटकी,
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कृष्ण काले हो ठुआदे मन्नै मटकी
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