तेरा साँई तुझमें ज्यों पहुपन में बास हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

तेरा साँई तुझमें ज्यों पहुपन में बास हिंदी मीनिंग Tera Saanee Tujhamen Jyon Pahupan Mei Baas Hindi Meaning


तेरा साँई तुझमें, ज्यों पहुपन में बास।
कस्तूरी का हिरन ज्यों, फिर-फिर ढ़ूँढ़त घास॥
Tera Saanee Tujhamen, Jyon Pahupan Mein Baas.
Kastooree Ka Hiran Jyon, Phir-phir Dhoondhat Ghaas.

 
ईश्वर कहाँ है ? वह बाहर नहीं घट/हृदय में ही वास करता है जैसे फूलों में खुशबु होती है। जैसे कस्तूरी मृग की नाभि में ही होती है और वह उसी यहाँ वहां ढूंढता है, तरह तरह की घास को सूंघता फिरता है, ज्ञान के अभाव में की कस्तूरी तो उसी के पास है। भाव है की ईश्वर की खोज में व्यक्ति जगह जगह भटकता है, कभी मंदिर कभी तीर्थ तो कभी कर्मकांड, कभी किसी महंत के कभी साधू के, यह एक ना रुकने वाला चक्र है जब तक पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति ना हो। ज्ञान है की ईश्वर कण कण में व्याप्त है और उसके दर्शन हृदय में ही हो सकते हैं क्योंकि वह निराकार है। जिसका आकार हो उसे ही देखा जा सकता है। जैसे फूलों की खुशबु को देखा नहीं जा सकता है, उसे महसूस किया जा सकता है। वैसे ही ईश्वर एक आत्मिक स्थिति है। 

तेरा साँई तुझमें ज्यों पहुपन में बास हिंदी मीनिंग Tera Saanee Tujhamen Jyon Pahupan Mei Baas Hindi Meaning

Kabir Doha Meaning in English : Where is the God. God is like a fragrance of flowers, which is prevalent everywhere. Just like the musk(aroma) is in the navel of the deer But the He don't know, Deer sniffing all kinds of grass for lack of knowledge, but the musk is with him. There is a sense that in search of God, a person wanders from place to place, sometimes a temple, sometimes a pilgrimage, sometimes a ritual, sometimes a mahant or a monk, it is a non-stop cycle until full knowledge is achieved. Knowledge is that God is present in every particle, God has no shape that can be seen. God can be felt by walking on the Bhakti Marga.

सुख सागर का शील है, कोई न पावे थाह ।
शब्द बिना साधु नही, द्रव्य बिना नहीं शाह ॥
Sukh Saagar Ka Sheel Hai, Koee Na Paave Thaah.
Shabd Bina Saadhu Nahee, Dravy Bina Nahin Shaah.

 
ज्ञानीरूपी समुद्र का स्वभाव सुख है, जिसकी थाह कोई नहीं पा सकता है। शब्द का ज्ञान और शक्ति जिसके पास नहीं है वह साधू नहीं है। रूपये पैसे और धन के बगैर कोई शहंशाह कैसे हो सकता है। भाव है की साधू/संतजन के पास शबद की शक्तिहोती है जैसे राजा के पास धन की होती है। 

बाहर क्या दिखलाए, अनन्तर जपिए राम।
कहा काज संसार से, तुझे धनी से काम॥
Baahar Kya Dikhalae, Anantar Japie Raam.
Kaha Kaaj Sansaar Se, Tujhe Dhanee Se Kaam. 

बाहर के आडम्बरों से तुझको क्या लेना देना, तुझको तो अन्दर ही अन्दर राम के नाम का सुमिरण करो, हृदय से हरी का सुमिरण करो बाह्याचार और आडम्बर से दूर रहकर मालिक का सुमिरण करो तुमको दुनियाँ से क्या लेना देना है ? तुम्हे तो उस धनी से ही मतलब है, धनी से आशय है ईश्वर जो मुक्ति और ज्ञान का मालिक है।

फल कारण सेवा करे, करे न मन से काम।
कहे कबीर सेवक नहीं, चहै चौगुना दाम॥
Phal Kaaran Seva Kare, Kare Na Man Se Kaam.
Kahe Kabeer Sevak Nahin, Chahai Chauguna Daam.
 Kabir Doha Hindi Meaning कबीर हिंदी मीनिंग : जो लोग फल की प्राप्ति से प्रेरित होकर सेवा करते हैं / कर्म करते हैं वे मन से कार्य नहीं करते हैं ऐसे लोग तो व्यापारी हैं, वे सेवक नहीं हैं।

कथा-कीर्तन कुल विशे, भवसागर की नाव।
कहत कबीरा या जगत में नाहि और उपाव॥
Katha-keertan Kul Vishe, Bhavasaagar Kee Naav.
Kahat Kabeera Ya Jagat Mein Naahi Aur Upaav. 
Kabir Doha Hindi Meaning कबीर हिंदी मीनिंग : कथा और कीर्तन कुल से प्राप्त होते हैं जो भवसागर से पार होने का एक ही तरीका है, इस जग के भाव सागर से पार होने का कोई अन्य माध्यम नहीं है। भाव है की भजन कीर्तन और हरी सुमिरण ही मुक्ति का माध्यम है अन्य कोई तरीका नहीं है। यहाँ पर शब्द कीर्तन की महिमा को दर्शाया गया है।

कबिरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा।
कै सेवा कर साधु की, कै गोविंद गुन गा।
Kabira Yah Tan Jaat Hai, Sake To Thaur Laga.
Kai Seva Kar Saadhu Kee, Kai Govind Gun Ga. 
Kabir Doha Hindi Meaning कबीर हिंदी मीनिंग : यह तन समाप्त होने में अधिक वक़्त नहीं लगता है, इसकी महत्ता तभी है जब हम या तो साधु की सेवा करें या तो फिर हरी के गुण गाएं। भाव है की इस जीवन की उपयोगिता तभी है जब हम हरी के नाम का गुण गायें और सद्मार्ग का अनुसरण करें।


कहता तो बहुत मिला, गहता मिला न कोय।
सो कहता वह जान दे, जो नहिं गहता होय।।
Kahata To Bahut Mila, Gahata Mila Na Koy.
So Kahata Vah Jaan De, Jo Nahin Gahata Hoy. 
Kabir Doha Hindi Meaning कबीर हिंदी मीनिंग : कहते हुए तो बहुत मिले लेकिन व्यवहार में उतारने वाले और कर्म में शामिल करने वाले नहीं मिले। जो ग्रहण नहीं करता है उसकी बातों पर ध्यान नहीं दो। दुसरे अर्थों में भोगी कहता है की उसे बहुत मिला लेकिन वास्तव में उसे ग्रहण कुछ भी नहीं हुआ है। ऐसे व्यक्तियों के कथन पर ध्यान नहीं दो।

साँई आगे साँच है, साँई साँच सुहाय।
चाहे बोले केस रख, चाहे घौंट मुंडाय।
Saanee Aage Saanch Hai, Saanee Saanch Suhaay.
Chaahe Bole Kes Rakh, Chaahe Ghaunt Bhundaay. 
 
साईं, परमेश्वर सत्य को पसंद करता है, वह सत्य का हिमायती है सत्य की राह पर चलते हुए चाहे बाल रखो या मुंडा लो इससे कुछ भी अंतर नहीं पड़ता है। भाव है की ईश्वर की भक्ति में कोई आडम्बर का स्थान नहीं है, सच्चे हृदय से हरी का सुमिरण करना ही इस जीवन का आधार है।

अपने-अपने साख की, सबही लीनी मान।
हरि की बातें दुरन्तरा, पूरी ना कहूँ जान।
Apane-apane Saakh Kee, Sabahee Leenee Maan.
Hari Kee Baaten Durantara, Pooree Na Kahoon Jaan. 
 
अपने मतावलंबी / कुनबे की बात को सभी मान लेते हैं लेकिन हरी की बातें इनसे बहुत दूर ही होती हैं। हरी का ज्ञान किसी ने प्राप्त नहीं किया है इसलिए दुविधा उत्पन्न हुई है।

राम पियारा छड़ी करी , करे आन का जाप|
बेस्या कर पूत ज्यू , कहै कौन सू बाप ||
Raam Piyaara Chhadee Karee, Kare Aan Ka Jaap|
Besya Kar Poot Jyoo, Kahai Kaun Soo Baap || 
 
Kabir Doha Hindi Meaning कबीर हिंदी मीनिंग : जो व्यक्ति राम को छोड़ कर अन्य किसी की आशा करता है वह ऐसे ही है जैसे वैश्या का पुत्र जो जिसे अपना बाप कहे ? भाव है की हरी की इस जीवन का आधार है।

जो रोऊ तो बल घटी, हंसो तो राम रिसाई |
मनही माहि बिसूरना, ज्यूँ घुन काठी खाई ||
Jo Rooo To Bal Ghatee, Hanso To Raam Risaee |
Manahee Maahi Bisoorana, Jyoon Ghun Kaathee Khaee || 
 
मैं जो रोता हूँ तो मेरा बल घटता है और जो मैं हँसता हूँ तो राम नाराज होते हैं अब मैं क्या करूँ । मेरी स्थिति तो ऐसी है जैसे लकड़ी को अन्दर ही अन्दर घुन जाए जा रहा हो। भाव है की मेरी अवस्था अजीब सी हो गई है, अब हरी सुमिरण ही मेरे जीवन का आधार है, हरी ही इस अवस्था से मुझे बाहर निकाल सकते हैं।

कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति ना होए |
भक्ति करे कोई सूरमा, जाती वरण कुल खोय ||
Kaamee Krodhee Laalachee, Inase Bhakti Na Hoe |
Bhakti Kare Koee Soorama, Jaatee Varan Kul Khoy || 
 
कामी क्रोधी और लालची से भक्ति नहीं होती है, भक्ति को कोई सूरमा ही कर पाता है जो अपने जाती और वर्ण की परवाह नहीं करता है। कामुक भोग, क्रोध या लालच से आप किस तरह की भक्ति की उम्मीद कर सकते हैं? बहादुर व्यक्ति जो अपने परिवार और जाति की चिंता को त्याग करके ही भक्ति मार्ग में आगे बढ़ सकता है।

बैद मुआ रोगी मुआ, मुआ सकल संसार |
एक कबीरा ना मुआ, जेहि के राम आधार ||
Baid Mua Rogee Mua , Mua Sakal Sansaar |
Ek Kabeera Na Mua , Jehi Ke Raam Aadhaar || 
 
वैद्य जो रोगों का उपचार करता है वह भी मृत्यु को प्राप्त होता है और यह सम्पूर्ण संसार ही मृत्यु को ही प्राप्त होगा। एक कबीर नहीं मरेगा क्योंकि उसका आधार राम है। भाव है की जिसने हरी नाम का आधार लिया है उसका काल भी कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है। वह जन्म मरण के चक्र से ऊपर उठ जाता है।

प्रेम न बड़ी उपजी, प्रेम न हाट बिकाय |
राजा प्रजा जोही रुचे, शीश दी ले जाय ||
Prem Na Badee Upajee, Prem Na Haat Bikaay |
Raaja Praja Johee Ruche, Sheesh Dee Le Jaay || 
 
प्रेम (भक्ति) कहीं पैदा नहीं की जा सकती है, किसी खेत में उसको उगाया नहीं जा सकता है, ना ही किसी बाजार में इसे ख़रीदा या बेचा जा सकता है। राजा या प्रजा कोई भी इसको प्राप्त कर सकता है लेकिन इसके लिए अपने शीश को काट कर त्याग करना पड़ता है। भाव है की भक्ति कोई आसान नहीं है, इसके लिए भी त्याग करना पड़ता है। ऐसा नहीं है की कोई भी इसको प्राप्त कर ले।

प्रेम प्याला जो पिए, शीश दक्षिणा दे |
लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का ले ||
Prem Pyaala Jo Pie, Sheesh Dakshina De |
Lobhee Sheesh Na De Sake, Naam Prem Ka Le || 
 
जो भी भक्ति को प्राप्त करना चाहता है उसे पाने शीश का दान दक्षना देना पड़ता है, लोभी व्यक्ति शीश का दान नहीं दे सकता है इसलिए स्वाभाविक रूप से भक्ति को प्राप्त नहीं कर सकता है। भाव है की भक्ति कोई आसान नहीं है। भक्ति तो प्रेम का प्याला है जिसके रसपान के लिए स्वंय का शीश (अहम्) का त्याग करना पड़ता है।

दया भाव ह्रदय नहीं, ज्ञान थके बेहद |
ते नर नरक ही जायेंगे, सुनी सुनी साखी शब्द ||
Daya Bhaav Hraday Nahin, Gyaan Thake Behad |
Te Nar Narak Hee Jaayenge, Sunee Sunee Saakhee Shabd || 
 
जिनके हृदय में दया भाव नहीं है, और जो ज्ञान की प्राप्ति हेतु थक चुके हैं वे नर नरक में ही जायेंगे, भले ही उन्होंने शब्द और साखी को सुना हो। भाव है की शब्द और साखी का अपना महत्त्व है, लेकिन यदि आचरण में मानवीय गुण नहीं हैं तो उसका भला कैसे हो सकता है।

जहा काम तहा नाम नहीं , जहा नाम नहीं वहा काम |
दोनों कभू नहीं मिले , रवि रजनी इक धाम ||
Jaha Kaam Taha Naam Nahin, Jaha Naam Nahin Vaha Kaam |
Donon Kabhoo Nahin Mile, Ravi Rajanee Ik Dhaam || 
 
जहाँ काम है, मद है वहां पर हरी का नाम नहीं है, वहां पर हरी का वास नहीं होता है, काम और हरी सुमिरण दोनों ऐसे ही हैं जैसे सूर्य और रात्री, इन दोनों का मिलन कभी नहीं होता है।

राम रसायन प्रेम रस पीवत अधिक रसाल।
कबीर पिवन दुर्लभ है , मांगे शीश कलाल। ।
Raam Rasaayan Prem Ras Peevat Adhik Rasaal.
Kabeer Pivan Durlabh Hai , Maange Sheesh Kalaal.
 
राम नाम का जो रसायन (शक्ति प्रदान करने वाला) है जिसे ग्रहण करने से अधिक मीठा जान पड़ता है, लेकिन इसके रस पान को प्राप्त करना दुर्लभ है यह शीश की दक्षना की माँग करती है। भाव है की भक्ति मार्ग कोई आसान मार्ग नहीं है इसके लिए भी मस्तक (अहम्) का त्याग करना पड़ता है । जब स्वंय होने का भाव समाप्त होता है तभी हरी को पहचाना जा सकता है।

ऊँचे पानी ना टिके , नीचे ही ठहराय |
नीचा हो सो भारी पी , ऊँचा प्यासा जाय ||
Oonche Paanee Na Tike , Neeche Hee Thaharaay |
Neecha Ho So Bhaaree Pee , Ooncha Pyaasa Jaay || 
 
पानी की गति नीची होती है, वह निचे की और बहता है जो व्यक्ति इस बात को जानता है वह झुकर पानी को पी लेता है और जो निचे नहीं झुकता है वह प्यासा ही रह जाता है, भाव है की अहम् का त्याग किये बगैर व्यक्ति हरी को प्राप्त नहीं कर पाता है। हरी / ईश्वर के सुमिरण तभी संभव है जब स्वंय का अहम् का त्याग हो। जो दंभ में रहता है वह कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाता है।

संत न छोड़े संतई जो कोटिक मिले असंत।
चंदन भुवंगा बैठिया , तऊ सीतलता न तंजत।।
Sant Na Chhode Santee Jo Kotik Mile Asant.
Chandan Bhuvanga Baithiya , Taoo Seetalata Na Tanjat. 
 
संत जन और साधू व्यक्तियों का स्वभाव शीतलता का होता है, भले ही वे करोड़ों दुष्ट जन से मिलें वे अपनी प्रवृति का त्याग नहीं करते हैं और उनके स्वभाव में शीतलता ही रहती है। जैसे चन्दन के वृक्ष पर सांप लिपटे रहते हैं लेकिन फिर भी चन्दन अपने गुणों का त्याग नहीं करता है और अपनी खुशबु को नहीं छोड़ता है। भाव है की हमें कैसी भी परिस्थिति हो अपने गुणों का त्याग नहीं करना चाहिए।

कबीर लहरि समंद की , मोती बिखरे आई।
बगुला भेद न जाने , हंसा चुनी चुनी खाई।। 
कबीर हिंदी मीनिंग : कबीर समुद्र की लहर आई और मोतियों को बिखेर कर चली आई हंस को मोतियों का ज्ञान है इसलिए वह मोती को चून लेता है लेकिन बगुले को इसका ज्ञान नहीं होने के कारण वह इनको प्राप्त नहीं कर पाता है । भाव है की हरी के नाम का महत्त्व जिसे पता है वही इसके रस का पान कर सकता है।

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
+

1 टिप्पणी

  1. कबीर के दोहे की बहुत अच्छी व्याख्या की है आपने. 👌👍