मन मस्त हुआ फिर क्या बोले लिरिक्स Man Mast Hua Phir Kya Bole Lyrics

मन मस्त हुआ फिर क्या बोले लिरिक्स Man Mast Hua Phir Kya Bole Lyrics

 
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले लिरिक्स Man Mast Hua Phir Kya Bole Lyrics

आज बदरा उठा प्रेम का,
रे हम पर बरसा होइ,
हर्षिली हो गई आत्मा,
और हरी भरी बनराई,

मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
क्या बोले फिर क्या बोले,
मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,

हलकी थी जब चढ़ी तराजू,
हलकी थी जब चढ़ी तराजू,
पूरी भरी अब क्यों तौले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,

हीरा पाया बाँध गठरिया,
हीरा पाया बाँध गठरिया,
बार बार वा को क्यों खोले,

मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
हंसा नहाया मान सरोवर,
ताल तलैया में क्यों डोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,

कहत कबीर सुनो भाई साधो,
साहिब मिल गया तिल ओले (पीछे)
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,

Aaj badra utha prem ka
Hum par barsa hoi
Clouds of love have risen today...
They have showered down on me

Harshili ho gayi aatma
Hari bhari ban rayi
The life within me is now full of joy…
And the world around me serene

Mann mast hua, ab kya bole
My heart is now drunk on love, I find no need to speak…

Kya bole phir kya bole
Oh how can i describe this!

Halki thi jab chadi taraaju, Puri bhari ab kyon tole;
i climbed the weighing scale, when i felt small
what is the need to measure, now that i feel full!

Mann mast hua, ab kya bole
My heart is now drunk on love, I find no need to speak…

Heera paaya, baandh gathariya, Baar-baar vaa ko kyon khole;
I have found an invaluable gem and tied it safely within...
Why open the knot again and again?

Mann mast hua, ab kya bole
My heart is now drunk on love, I find no need to speak…

Hansa nahaaya Mann sarovar, taal taleiya mein kyon dole;
This swan has bathed in the lake Manasarovar...
Now why would it dwell in ponds and puddles?

Mann mast hua, ab kya bole
My heart is now drunk on love, I find no need to speak…

Kehat kabir suno bhayi saadho, Sahib mil gayaa til ole
Kabir says, listen dear fellow seekers, I have found the divine even in a grain!

Mann mast hua, ab kya bole
My heart is now drunk on love, i find no need to speak
"My heart is now drunk on love, I find no need to speak", sings Kabir, intoxicated by the bliss he found within. Listen to our rendition of this timeless song, offered at Sadhguru Darshan. 


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