समय का पहिया चलता है भजन

समय का पहिया चलता है भजन

 
समय का पहिया चलता है लिरिक्स Samay Ka Pahiya Chalta Hai Lyrics Hariharan

क्रोध के बोझ को मन पे उठाएँ,
काहे चलता है प्राणी,
क्षमा जो शत्रु को भी कर दे,
वही मुक्त है वही ज्ञानी,

समय का पहिया चलता है,
दिन ढ़लता है रात आती हैं,
रात में जब एक छोटा सा,
नन्हाँ सा दीपक जलता है,
उसकी जरा सी ज्योत सही पर दूर से,
उसको देख कोई बरसो का मुसाफ़िर,
गिरते गिरते संभलते हैं,
समय का पहिया चलता है,
दिन ढलता है रात आती है,
रात में जब एक छोटा सा,
नन्हा सा दीपक जलता है,
उसकी ज़रा सी ज्योत सही पर दूर से,
उसको देख कोई बरसो का मुसाफिर,
गिरते गिरते सम्भलते हैं,
समय का पहिया चलता है,
दिन ढलता है रात आती है,

मैंने जाते-जाते जाना,
कौन है अपना कौन पराया,
मैंने जाते जाते जाना,
कौन है अपना कौन पराया,
बस तू ही मेरा अपना है,
बस तूने प्यार निभाया,
काम क्रोध और लोभ,
मैं ताज़ कर जा सकता हूँ,
तुझको चहु भी तो मैं,
कैसे भुला सकता हूँ,
तेरा प्यार भी एक बंधन है,
तू ही बता क्या मैं मुक्ति पा सकता हौं,
तू नहीं जानता तू मेरा अब है क्या,
तुझको हूँ देखता,
तो दिल कैसे पिघलता है,
समय का पहिया चलता है,
दिन ढलता है रात आती है,

दिन में सोया रात आयी तो,
अब जागा सोया कब था,
दिन में सोया रात आयी तो,
अब जागा सोया कब था,
अब क्या सूरज ढूँढे पग़ले,
डूब गया सूरज कब का,
बरसों पहले जो थी इक नदी प्यार की,
बह गयी वो नदी हाथ,
अब तू क्या मिलता है,
समय का पहिया चलता है,
दिन ढलता है रात आती है,
रात में जब एक छोटा सा,
नन्हा सा दीपक जलता है,
उसकी ज़रासी ज्योत सही पर दूर से,
उसको देख कोई बरसो का मुसाफिर,
गिरते गिरते संभलते है,
समय का पहिया चलता है,
दिन ढलता है रात आती है,


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Bhoothnath Samay Ka
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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