हम तौ एक करि जाना हिंदी मीनिंग Hum To Ek Kari Jaana Hindi Meaning NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core

हम तौ एक करि जाना हिंदी मीनिंग Hum To Ek Kari Jaana Hindi Meaning NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core

हम तौ एक करि जाना ।
दोइ कहैं तिनहीं कौं  दोजग जिन नाहिंन पहिचाना।  
एकै पवन एक ही पानीं एकै जोति समांनां।
एकै खाक गढ़े सब भांडै एकै काहरा साना।
जैसे बढ़ी काष्ट ही कार्ट अगिनि न काटे कोई।
सब घटि अंतरि तू ही व्यापक धरै सरूपै सोई।
माया देखि के जगत लुभांनां कह रे नर गरबाना
निरभै भया कछू नहि ब्यापै कहैं कबीर दिवांनां। 
 
Ham Tau Ek Kari Jaana .
Doi Kahain Tinaheen Kaun  Dojag Jin Naahinn Pahichaana.  
Ekai Pavan Ek Hee Paaneen Ekai Joti Samaannaan.
Ekai Khaak Gadhe Sab Bhaandai Ekai Kaahara Saana.
Jaise Badhee Kaasht Hee Kaart Agini Na Kaate Koee.
Sab Ghati Antari Too Hee Vyaapak Dharai Saroopai Soee.
Maaya Dekhi Ke Jagat Lubhaannaan Kah Re Nar Garabaana
Nirabhai Bhaya Kachhoo Nahi Byaapai Kahain Kabeer Divaannaan.

हम तौ एक करि जाना हन्दी मीनिंग Hum To Ek Kari Jaana Hindi Meaning

कबीर साहेब की वाणी है की हमने तो इस श्रष्टि की नियामक शक्ति (पूर्ण परम ब्रह्म) को एक ही माना है. जो भी इसमें भेद करते हैं वे नरक के भागी हैं. यह संसार और इश्वर एक  ही हैं, इसलिए इनमे भेद करना उचित नहीं है. जो भी जगत और इश्वर में भेद करते हैं वे अज्ञानता के कारण ऐसा करते हैं और नरक के भागी हैं. श्रष्टि का रचियता इश्वर है और यह  संसार उसकी कृति है जिनमें भेद नहीं किया हो सकता है. इस सम्पूर्ण जगत में एक ही पवन चल रही है, एक ही जल है और एक ही ज्योति प्रकाशित होती है. एक ही मिटटी से इश्वर ने समस्त जीवों की रचना की है. सभी का सृजनहार, रचियता एक ही है. मिटटी एक ही है जिससे विविध जीवों की रचना हुई है. जैसे कुम्भकार एक मिटटी से तरह तरह के बर्तनों को आकार देता है, ऐसे ही विभिन्न जीवों का निर्माण इश्वर ने किया है.  
 
पूर्ण परम ब्रह्म के विषय में वाणी है जैसे कोई बढइ लकड़ी को तो काट सकता है, लेकिन उससे उत्पन्न होने वाली अग्नि को काट नहीं सकता है. ऐसे ही हम पूर्ण परम ब्रह्म को विभाजित नहीं कर सकते हैं. हम भौतिक वस्तुओं को तो नष्ट कर सकते हैं लेकिन ब्रह्म ज्योति को नष्ट नहीं कर सकते हैं.  समस्त जीवों में आपकी ही ज्योति वास करती है. लेकिन जीव व्यथ ही अहंकार में डूबा रहता है. माया और धन दौलत देखकर जीव घमंड करता है. यह उसका भ्रम ही है. इश्वर की भक्ति में लीन / अनुरक्त व्यक्ति को किसी भी प्रकार का कोई भय नहीं रहता है और वह निश्चिंत रहता है. इस पद में पूर्ण परम ब्रह्म को एक अटूट शक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है और इस पद की भाषा सधुक्कड़ी है साथ ही इसमें अनुप्रास अलंकार का उपयोग हुआ है.
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