
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
क्यूं नृप-नारी नींदिये, क्यूं पनिहारी कौं मान।
वा मांग संवारे पीव कौं, या नित उठि सुमिरै राम॥
Vaa Mang Sanvare Peev Ko, Ya Nit Uthi Sumire Ram.
इस दोहे में कबीर साहेब का भाव है की रानी को नीचे स्थान दिया है और पनिहारी को ऊँचा स्थान दिया गया है। रानी तो अपने राजा के लिए मांग संवारती है और श्रृंगार करती है लेकिन पनिहारी नित्य उठकर अपने राम का सुमिरन करती है। यही कारण है की रानी को नीचा स्थान दिया गया है और पनिहारिन जो की गरीब होती है लेकिन उसे उच्च स्थान दिया गया है।
In this doha, Kabir Sahib's sentiment is that the queen is placed in a lower position while the water carrier is given a higher status. The queen may adorn herself and fulfill the demands of her king, but the water carrier constantly remembers and chants the name of her Ram. This is why the queen is placed in a lower position, whereas the water carrier, who may be poor, is given a higher status.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |