आनंद के खुले ख़जाने म्हारे सतगुरु के दरबार में
आनंद के खुले ख़जाने, म्हारे सतगुरु के दरबार में,
सतगुरु के दरबार में, म्हारे संतों के दरबार में,
क्या ख़ाख़ छानता पगले, इस दुनियाँ के बाजार में,
धन में सुख देखने वालों, धन वालों से पूछ लो,
उन्हें चैन कहाँ मिलता है, पल भर भी कार्य व्यवहार में,
आनंद के खुले ख़जाने, म्हारे सतगुरु के दरबार में,
सतगुरु के दरबार में, म्हारे संतों के दरबार में,
क्या ख़ाख़ छानता पगले, इस दुनियाँ के बाजार में,
चाचा ताऊ कुटम्ब कबीला, कितना बड़ा परिवार में,
वो देखें रोज कचेड़ी, भाई आपस की तकरार में,
आनंद के खुले ख़जाने, म्हारे सतगुरु के दरबार में,
सतगुरु के दरबार में, म्हारे संतों के दरबार में,
क्या ख़ाख़ छानता पगले, इस दुनियाँ के बाजार में,
कोठी बंगले कारों की, भाई कमी नहीं दरबार में,
वे भी यूँ कहते हैं, हम सुखी नही संसार में,
आनंद के खुले ख़जाने, म्हारे सतगुरु के दरबार में,
सतगुरु के दरबार में, म्हारे संतों के दरबार में,
क्या ख़ाख़ छानता पगले, इस दुनियाँ के बाजार में,
ना तो सुख गृहस्थ में, ना सुख बन में जाय के,
गुरु गीतानन्द समझावे, सुख है तो शब्द विचार में,
आनंद के खुले ख़जाने, म्हारे सतगुरु के दरबार में,
सतगुरु के दरबार में, म्हारे संतों के दरबार में,
क्या ख़ाख़ छानता पगले, इस दुनियाँ के बाजार में,
आनंद के खुले खजाने म्हारे सतगुरु के दरबार में (anad ke khule khjane mhare stguru ke drbar main)
Aanand Ke Khule Khajaane, Mhaare Sataguru Ke Darabaar Mein,
Sataguru Ke Darabaar Mein, Mhaare Santon Ke Darabaar Mein,
Kya Khaakh Chhaanata Pagale, Is Duniyaan Ke Baajaar Mein,
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