चल गोवर्धन महाराज सखी आज लिरिक्स Chal Govardhan Maharaj Sakhi Aaj Lyrics

चल गोवर्धन महाराज सखी आज लिरिक्स Chal Govardhan Maharaj Sakhi Aaj Lyrics

चल गोवर्धन महाराज, सखी आज,
परिक्रमा घणी लगावेंगे,
चल गोवर्धन महाराज, सखी आज,
परिक्रमा घणी लगावेंगे,
गिरिराज के दर्शन पावेंगे,
चल गोवर्धन महाराज, सखी आज,
परिक्रमा घणी लगावेंगे।

सखी मेला बड़ो वहाँ लाग रह्यो,
हर कोई गोवर्धन भाग रह्यो,
खुल जाएंगे भाग आज,
परिक्रमा घणी लगावेंगे,
चल गोवर्धन महाराज, सखी आज,
परिक्रमा घणी लगावेंगे।

चकलेश्वर दर्शन पायेंगे,
सखी मानसी गंगा नहायेंगे,
राधा कुंड करे स्नान, सखी आज,
परिक्रमा धनी ललगावैंगे,
परिक्रमा घणी लगावेंगे,
चल गोवर्धन महाराज, सखी आज,
परिक्रमा घणी लगावेंगे।

गोवर्धन देव हमारों है,
नक पे मोहन ने धारो है,
करे पूरण सब के काज,
चल गोवर्धन महाराज, सखी आज,
परिक्रमा घणी लगावेंगे,
चल गोवर्धन महाराज, सखी आज,
परिक्रमा घणी लगावेंगे।
 
श्री गोवर्धन महाराज, मथुराके पश्चिम में लगभग 21 किमी की दूरी पर यह पहाड़ी स्थापित पवित्र धार्मिक स्थल है। इसी स्थान पर गिरिराज पर्वत है जो 4 या 5 मील तक फैला हुआ है। गोवर्धन महाराज की २० कोस की यात्रा धार्मिक महत्त्व रखती है। गोवर्धन महाराज की परिकर्मा की परिधि में अनेक पवित्र स्थल है। मान्यता है की पुलस्त्य ऋषि के श्राप के कारण यह पर्वत एक मुट्ठी रोज कम होता जा रहा है। गोवर्धन पर्वत को भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी अँगुली पर उठाया था जिसके पीछे एक पौराणिक कथा महत्त्व रखती है। गोवर्धन पर्वत को ही गिरिराज पर्वत कहा जाता है। दीपावली के बाद गोवर्धन जी पूजन किया जाता है। घर-घर में गोबर से गिर्राज महाराज बनाए जाते हैं और फूलों से सजाये जाते हैं। शाम को गिर्राज महाराज का पूजन कर सुख-समृद्धि की प्रार्थना करने के उपरान्त घर-घर में गिर्राज महाराज की आरती की जाती है।

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