हरी नाम नहीं तो जीना क्या लिरिक्स Hari Naam Nahi To Jeena Kya Lyrics Maithili Thakur

हरी नाम नहीं तो जीना क्या लिरिक्स Hari Naam Nahi To Jeena Kya Lyrics Maithili Thakur


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अमृत है हरी नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या।
हरी नाम नहीं तो जीना क्या।
अमृत है हरी नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय रस पीना क्या

काल सदा अपने रस डोले,
ना जाने कब सर चढ़ बोले।
हर का नाम जपो निसवासर,
इसमें अब बरस महीना क्या,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या।
अमृत है हरी नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय रस पीना क्या।  

तीरथ है हरी नाम तुम्हारा,
फिर क्यूँ फिरता मारा मारा।
अंत समय हरी नाम ना आवै,
फिर काशी और मदीना क्या,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या।
अमृत है हरी नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय रस पीना क्या।

भूषण से सब अंग सजावै,
रसना (जिव्हा ) पर हरी नाम ना लावे।
देह पड़ी रह जावे यहीं पर,
फिर कुंडल और नगीना क्या,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या।
अमृत है हरी नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय रस पीना क्या। 
 
हरी का नाम सुमिरण ही जीवन की मुक्ति का आधार है। हरी नाम सुमिरण रूपी रस अमृत के समान है जिसको छोड़ कर विषय जनित रसपान करना (विषय भोग) विष के समान है। काल सदा सर पर मंडराता रहता है। काल कब किसे अपना शिकार बना ले अनिश्चित है। इसलिए हरी के नाम का सुमिरण अभी से शुरू कर देना चाहिए।हरी सुमिरण में वर्ष या महीना देखना मूर्खता है।
ईश्वर प्राप्ति में तीरथ, वर्त और कर्मकांड करना बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि हरी का नाम ही तीर्थ तुल्य पावन है। अंत समय में हरी का नाम नहीं हो तो काशी और मदीना का क्या लाभ। जगत में सभी लोग ज़ेवर /भूषण से इस नश्वर देह को सजाते हैं लेकिन यह देह तो यहीं पर पड़ी रह जानी है तो फिर कुण्डल और नगीना किस काम के। वे तो साथ जाने से रहे। हरी नाम सुमिरण ही ईश्वर के प्रति सच्चा समर्पण है।

सत नाम का सुमिरन कर ले, कल जाने क्या होय,
जाग जाग नर निज आश्रम में, काहे बिरथा सोय,
सतनाम का सुमिरन कर ले, कल जाने क्या होए।
जेहि कारन तू जग में आया,
वो नाहीं तूने करम कमाया,
मन मैला का मैला तेरा,
काया मल मल धोये,
जाग जाग नर निज आश्रम में, काहे बिरथा सोय,
सतनाम का सुमिरन कर ले, कल जाने क्या होए।
Bhajan/भजन : हरी नाम नहीं तो जीना क्या Hari Naam Nahi To Jeena Kya.
Singer/गायिका : मैथिलि ठाकुर। Maithili Thakur.
Writer/लेखक : ट्रेडिशनल। Traditional Bhajan


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1 टिप्पणी

  1. जय श्री हरि विष्णु