सावणु आइआ हे सखी कंतै चिति करेहु हिंदी मीनिंग Savanu Aayiya He Sakhi Hindi Meaning

सावणु आइआ हे सखी कंतै चिति करेहु हिंदी मीनिंग Savanu Aayiya He Sakhi Hindi Meaning Guru Angad Dev Ji Shabad


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सावणु आइआ हे सखी कंतै चिति करेहु॥
नानक झूरि मरहि दोहागणी जिन्ह अवरी लागा नेहु ॥
सावणु आइआ हे सखी जलहरु बरसनहारु
सावणु आइआ हे सखी जलहरु बरसनहारु ॥
नानक सुखि सवनु सोहागणी जिन्ह सह नालि पिआरु॥
Saavanu Aaia He Sakhee Kantai Chiti Karehu.
Naanak Jhoori Marahi Dohaaganee Jinh Avaree Laaga Nehu .
Saavanu Aaia He Sakhee Jalaharu Barasanahaaru
Saavanu Aaia He Sakhee Jalaharu Barasanahaaru .
Naanak Sukhi Savanu Sohaaganee Jinh Sah Naali Piaaru.
 
शबद का हिंदी मीनिंग : गुरु अंगद देव जी के इस श्लोक का आशय है की हे सखी सावन (सावन का महीना ) आ गया है। भाव है की जैसे सावन मास में बरसात होती है ऐसे ही गुरु के ज्ञान की बरसात होने लगी है। प्रभु को अपने चित्त में भर लो। प्रभु का सुमिरण करो। नानक ऐसी जीवात्मा (स्त्री) जो अपने पति (परमात्मा) को छोड़ कर अन्य से स्नेह लगाती हैं, वे दुर्भाग्यशाली हैं और वे झूर कर मरती हैं। भाव है की जैसे स्त्री को अपने पति के प्रति समर्पित होना चाहिए वैसे ही जीवात्मा को परमात्मा के प्रति समर्पित होना चाहिए। अन्यथा वह दुखों की ही भागी होती है। 

सावन आ गया है और जल बरसने लगा है। नानक, जिन स्त्रियों का (जीवात्मा का ) प्रेम अपने पति से बना (ईश्वर) हुआ है वे इस सावन को सुहागन की भाँती सुख की प्राप्ति करे। ऐसी जीवात्मा भाग्यशाली है जो अपने साईं के प्रति समर्पित है। 
ਸਾਵਣੁ ਆਇਆ ਹੇ ਸਖੀ
ਕੰਤੈ ਚਿਤਿ ਕਰੇਹੁ ॥
सावणु आइआ हे सखी
कंतै चिति करेहु॥
हे सखी ! सावन का सुहावना मौसम आ चुका है। पति प्रभु का स्मरण करो। प्रभु में चित्त लगाओ।
ਨਾਨਕ ਝੂਰਿ ਮਰਹਿ ਦੋਹਾਗਣੀ ਜਿਨ੍ਹ੍ਹ ਅਵਰੀ ਲਾਗਾ ਨੇਹੁ ॥੧॥
नानक झूरि मरहि दोहागणी जिन्ह अवरी लागा नेहु ॥१॥
नानक का कथन है कि जो पति प्रभु के अलावा किसी अन्य के साथ प्रेम लगाती हैं, ऐसी बदनसीब स्त्रियाँ दुखों में ही घिरी रहती हैं, दुखों की भागी बनती हैं।
ਸਾਵਣੁ ਆਇਆ ਹੇ ਸਖੀ ਜਲਹਰੁ ਬਰਸਨਹਾਰੁ ॥
सावणु आइआ हे सखी जलहरु बरसनहारु ॥
हे सखी ! सावन का महीना आया है, बादल खूब बरसात कर रहे हैं। भाव है गुरु के ज्ञान की जमकर बरसात हो रही है।
ਨਾਨਕ ਸੁਖਿ ਸਵਨੁ ਸੋਹਾਗਣੀ ਜਿਨ੍ਹ੍ਹ ਸਹ ਨਾਲਿ ਪਿਆਰੁ ॥੨॥
नानक सुखि सवनु सोहागणी जिन्ह सह नालि पिआरु ॥२॥
नानक कहते हैं कि जिन्होंने प्रभु से प्रेम लगाया हुआ है, ऐसी सुहागिन स्त्रियाँ सुख में लीन हैं। जिस जीवात्मा का अपने ईश्वर से प्रेम है वे सुखो को प्राप्त कर रही हैं।


Saavan Aaeiaa Hae Sakhee सावणु आइआ हे सखी कंतै चिति करेहु हिंदी मीनिंग Savanu Aayiya He Sakhi Hindi Meaning Guru Angad Dev Ji Shabad

सावणु आइआ हे सखी
कंतै चिति करेहु ॥
Saavan Aaeiaa Hae Sakhee
Kanthai Chith Karaehu ||

सावन का महीना आ गया है। अपने साईं को चित्त में धरो/ईश्वर का सुमिरण करो। The month of Saawan has come, O my companions; think of your Husband Lord.


नानक झूरि मरहि दोहागणी
जिन्ह अवरी लागा नेहु ॥१॥
Naanak Jhoor Marehi Dhohaaganee
Jinh Avaree Laagaa Naehu ||1||

नानक ऐसी जीवात्मा जिसने अपने पति को भुला दिया है वे दुर्भाग्यशाली हैं और दुखों को प्राप्त करती हैं। जिनका स्नेह अन्य से लगा रहता है वे दुखों में घिरी रहती हैं। O Nanak, the discarded bride is in love with another; now she weeps and wails, and dies. ||1||


सावणु आइआ हे सखी
कंतै चिति करेहु ॥
Saavan Aaeiaa Hae
Sakhee Kanthai Chith Karaehu ||

सावन आ गया है, अपने प्रभु को अपने चित्त में स्थापित करो। The month of Saawan has come, O my companions; think of your Husband Lord.


सावणु आइआ हे सखी
जलहरु बरसनहारु ॥
Saavan Aaeiaa Hae Sakhee
Jalehar Barasanehaar ||

सावन आ गया है गुरु के ज्ञान रूपी बरसात होने लगी है। भाव है की गुरु के ज्ञान रूपी बरसात को प्राप्त कर लो। The month of Saawan has come, O my companions; the clouds have burst forth with rain.


नानक सुखि सवनु सोहागणी
जिन्ह सह नालि पिआरु ॥२॥
Naanak Sukh Savan Sohaaganee
Jinh Seh Naal Piaar ||2||

नानक, ऐसी जीवात्मा जिसका अपने स्वामी से प्रेम है वे सुखों को प्राप्त करती हैं। O Nanak, the blessed soul-brides sleep in peace; they are in love with their Husband Lord. ||2||

सावणु आइआ हे सखी
कंतै चिति करेहु ॥
Saavan Aaeiaa Hae
Sakhee Kanthai Chith Karaehu ||

सावन आ गया है अपने स्वामी को चित्त धरो। The month of Saawan has come, O my companions; think of your Husband Lord.
अन्य शब्द गुरु अंगद देव जी
कीता किआ सालाहीऐ करे सोइ सालाहि ॥
नानक एकी बाहरा दूजा दाता नाहि ॥
करता सो सालाहीऐ जिनि कीता आकारु ॥
दाता सो सालाहीऐ जि सभसै दे आधारु ॥
नानक आपि सदीव है पूरा जिसु भंडारु ॥
वडा करि सालाहीऐ अंतु न पारावारु ॥

तिसु सिउ कैसा बोलणा जि आपे जाणै जाणु
तिसु सिउ कैसा बोलणा जि आपे जाणै जाणु ॥
चीरी जा की ना फिरै साहिबु सो परवाणु ॥
चीरी जिस की चलणा मीर मलक सलार ॥
जो तिसु भावै नानका साई भली कार ॥
जिन्हा चीरी चलणा हथि तिन्हा किछु नाहि ॥
साहिब का फुरमाणु होइ उठी करलै पाहि ॥
जेहा चीरी लिखिआ तेहा हुकमु कमाहि ॥
घले आवहि नानका सदे उठी जाहि ॥
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