आइ न सकौ तुझ पै कबीर के दोहे

आइ न सकौ तुझ पै Aai Na Sako Tujh Pe

आइ न सकौ तुझ पै, सकूँ न तूझ बुलाई,
जियरा यौही लेहुगे, बिरह तपाइ तपाइ॥

Aayi Na Sako Tujh Pe, Saku Na Tujh Bulai,
Jiyara Youhi Lehuge, Birah Tapaai Tapaai.
 
आइ न सकौ तुझ पै, सकूँ न तूझ बुलाई, जियरा यौही लेहुगे, बिरह तपाइ तपाइ॥

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning Hindi

आइ न सकौ- मैं तुम्हारे पास आने असमर्थ हूँ।
तुझ पै - तुम्हारे पास।
सकूँ न तूझ बुलाई - तुझे अपने पास बुलाने में समर्थ नहीं हूँ।
जियरा - जीव, प्राण।
यौही लेहुगे- ऐसे ही लोगे (मेरे प्राण आप ऐसे ही लेंगे)
बिरह तपाइ तपाइ- विरह में तप तप कर। 

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग

विरह की अग्नि में दग्ध जीवात्मा पूर्ण परमात्मा से मिलने को व्याकुल है। वह स्वंय ईश्वर के पास जा नहीं सकती है और स्वंय इतनी समर्थ भी नहीं है की वह ईश्वर को अपने पास बुला ले। ऐसे में अब उसे ऐसा प्रतीत होने लगा है जैसे वह इसी भांति विरह की अग्नि में जलते जलते ही समाप्त हो जायेगी। 'तपाई तपाई' में पुनः शक्ति प्रकाश अलंकार की व्यंजना हुई है.

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