बिरहनि ऊभी पंथ सिरि मीनिंग
बिरहनि ऊभी पंथ सिरि, पंथी बूझै धाइ।
एक सबद कहि पीव का, कब रे मिलैगे आइ।
Birahani Ubhi panth Siri, Panthi Bujhe Dhaai,
Ek Shabad kahi Peev Ka, kab Re Milenge Aai.
कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word meaning
बिरहनि -विरह की अग्नि में दग्ध जीवात्मा।
ऊभी - खड़ी।
पंथ सिरि- राह पर/पंथ पर।
पंथी - पथिक, राही।
बूझै - पूछे।
धाइ - दौड़कर।
एक सबद -एक शब्द, छोटी सी सूचना।
कहि पीव का -प्रियतम की कहो।
कब रे मिलैगे आइ- कब आकर मिलेंगे।
जीवात्मा ईश्वर से बिछड़ चुकी है और विरह में जलते हुए वह रास्ते पर खड़ी होकर व्याकुलता से राह देख रही है। विरह में दग्ध आत्मा आते जाते पथिकों से दौड़कर अपने प्रियतम का हाल पूछती है और वह यह अपेक्षा करती है की कोई उनको कम से कम एक शब्द ही प्रियतम के विषय में बता दे।
उल्लेखनीय है की जीवात्मा बिरह की अग्नि में जल रही है और वह प्रियतम से मिलने को व्याकुलता है। यह व्याकुलता तभी मिट सकती है जब जीवात्मा का मिलन पूर्ण ब्रह्म से हो।
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