बासुरि सुख नाँ रैणि सुख मीनिंग कबीर के दोहे

बासुरि सुख नाँ रैणि सुख मीनिंग Basuri Sukh Na Raini Sukh Hindi Meaning Kabir Ke Dohe

बासुरि सुख नाँ रैणि सुख, ना सुख सुपिनै माँहि।
कबीर बिछुट्या राम सूँ ना सुख धूप न छाँह॥

Basuri Sukh Na Raini sukh, Na Sukh Supine Mahin,
kabir Bichhutya Raam Su, Na Sukh Dhoop Na Chhanh.
 
बासुरि सुख नाँ रैणि सुख, ना सुख सुपिनै माँहि। कबीर बिछुट्या राम सूँ ना सुख धूप न छाँह॥
 

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Word meaning

बासुरि - वासर (दिन )
नाँ रैणि सुख- ना रात्रि में सुख।
सुपिनै माँहि-सपने में भी (सुख नहीं )
बिछुट्या -बिछुड़ना।
राम सूँ - राम से।
ना सुख धूप न छाँह-सुख की प्राप्ति धुप और छाया में नहीं है। 

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग

जो जीवात्मा ईश्वर से विमुख हो जाती है उसे ना तो दिन में सुख मिलता है और नाहीं रात्रि में ही सुख की प्राप्ति सम्भव हो पाती है। उसे नाहीं धुप छांया और सपने में सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। दिन हो या रात्रि हरी से विमुख जीवात्मा सदैव दुखों से ग्रसित रहती है क्योंकि माया ही सबसे बड़ा दुःख है। मायाजनित कार्यों में लिप्त जीवात्मा भला कैसे सुखी हो सकती है। 
 
कबीर साहेब की इस साखी में अनुप्रास और विषेशोक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है। भाव है की ब्रह्म की शरण में ही समस्त सुख हैं, वही चित्त को निर्मल कर सकता है अन्य कोई माध्यम जीवात्मा को सुख की प्राप्ति नहीं करवा सकती है। 

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