चौसठ दीवा जोइ करि मीनिंग

चौसठ दीवा जोइ करि हिंदी मीनिंग

 
चौसठ दीवा जोइ करि, चौदह चन्दा माँहि। तिहिं घरि किसकौ चानिणौं, जिहि घरि गोबिंद नाहिं॥

चौसठ दीवा जोइ करि, चौदह चन्दा माँहि।
तिहिं घरि किसकौ चानिणौं, जिहि घरि गोबिंद नाहिं॥

Chausath Deeva Joi Kari, Chaudah Chanda Manhi.
Tihin Ghari Vhekau Chinanaun, Jihi Ghari Gobind Nahin. 

कबीर के दोहे के शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning

चौसठ दीवा -चौसठ दीपक, चौसठ कलाओं का प्रकाश.
जोइ करि- जलाकर, प्रकाशित करके.
चौदह चन्दा माँहि-चौदह कालाओं का चाँद रूपी प्रकाश.
तिहिं घरि - उस घर में,
किसकौ चानिणौं- किसका प्रकाश
जिहि घरि -जिस घर में.
गोबिंद नाहिं-इश्वर का वास नहीं है. 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग

इश्वर के राम सुमिरन की महत्ता बताते हुए साहेब की वाणी है की यदि किसी घर में चौसठ दीपक और चौदह कलाओं के चाँद का प्रकाश उत्पन्न कर दिया जाय तो भी उस घर में अँधेरा ही रहेगा जिस घर में हरी का वास नहीं है. 
 
इस साखी का भाव है की यदि कोई हृदय में चौसठ कलाओं की ज्योति उत्पन्न कर ले और चौदह विद्याओं का प्रकाश उत्पन्न कर ले, अर्थात ज्ञान की प्राप्ति कर ले तो भी अँधेरा ही रहेगा क्योंकि जहाँ पर इश्वर के नाम का वास नहीं होता है. हरी के नाम सुमिरन के अभाव में ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न नहीं हो पाता है. कबीर साहेब की इस साखी में विशेशोक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है. 

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