निस अधियारी कारणैं हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

निस अधियारी कारणैं हिंदी मीनिंग Nis Andhiyari Karane Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Meaning Kabir Ki Sakhi/Dohe in Hindi

 
निस अधियारी कारणैं, चौरासी लख चंद। अति आतुर ऊदै किया, तऊ दिष्टि नहिं मंद॥

निस अधियारी कारणैं, चौरासी लख चंद।
अति आतुर ऊदै किया, तऊ दिष्टि नहिं मंद॥

Nis Adhiyaaree Kaaranadaata, Chauraasee Laakh Chand.
Ati Aatur Oodai Kiya, Tau Dishti Navin Mand.

कबीर के दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Kabir Doha/Sakhi

निस अधियारी -निशि/रात के अन्धकार.
कारणैं- के कारण से.
चौरासी लख चंद-चौरासी लाख चंद्रमा.
अति आतुर-बड़ी ही जल्दी में.
ऊदै किया- उदित किया/प्रकाशित किया.
तऊ-तब भी/उपरान्त भी.
दिष्टि-दृष्टि
मंद-कमजोर (अन्धकार)

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning

रात के अन्धकार को दूर करने के लिए बड़ी ही आतुरता से चौरासी लाख चन्द्रमाओं को प्रकाशित किया। लेकिन तब भी अन्धकार दूर नहीं हुआ क्योंकि ज्ञान का अभाव होने पर सत्य का बोध नहीं हो पाता है। 
निस प्रतीक है अज्ञान और अहम् का जिसके कारण से जीव चौरासी लाख योनियों में भटकता फिरता है लेकिन फिर भी उसे प्रकाश का बोध नहीं हो पाता है. भाव है की जब तक गुरु के द्वारा ज्ञान नहीं दिया जाता है तब तक साधक भटकता रहता है. ज्ञान के अभाव में जीव विभिन्न योनियों में भटकता रहता है और अनेकों जतन के उपरान्त भी उसकी आँखें नहीं खुलती है और वह भटकता ही रहता है, उसकी दृष्टि मंद ही बनी रहती है. 
 
ज्ञान के अभाव में उसकी आँखें नहीं खुल पाती हैं और यह भटकाव तभी दूर हो पायेगा, जब सच्चे गुरु से ज्ञान की प्राप्ति हो। उल्लेखनीय है की कबीर साहेब ने अज्ञान को रात्रि के अन्धकार तुल्य बताकर समझाने का प्रयत्न्न किया है की जैसे रात्रि के अँधेरे में सत्य का बोध नहीं हो पाता है वैसे ही अज्ञान से घिरे रहने पर सत्य दूर रहता है। 

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