रामहि राम पुकारते जिभ्या परीगो रौंस कबीर के दोहे

रामहि राम पुकारते जिभ्या परीगो रौंस Ramahi Ram Pukaarate Meaning Kabir Dohe Hindi Meaning, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit/Hindi Bhavarth

रामहि राम पुकारते, जिभ्या परीगो रौंस,
सुधा जल पीवे नहीं, खोदी पियन की हौंस.
Raamahi Raam Pukaarte, Jibhya Parigo Rouns.
Sudha Jal Peeve Nahi, Khodi Piyan Ki Houns.

रांमहि राम पुकारते : निरंतर राम का नाम पुकारते हुए.
जिभ्या परीगो रौंस : जिव्हा /जीभ में छाले पड़ गए हैं.
सुधा जल पीवे नहीं : जो जल पहले से उपलब्ध है, वह नहीं पीना चाहती है.
खोदी पियन की हौंस : स्वंय खोदकर पीना चाहती है.
रांमहि राम : निरंतर राम नाम का उच्चारण करते हुए, राम राम पुकारते हुए.
पुकारते : पुकारना, रटन लगाना.
जिभ्या : जीव्हा/जीभ.
परीगो : पड़ गए हैं.
रौंस : छाले.
सुधा जल : सुलभ जल, जो पहले से उपलब्ध है.
पीवे नहीं : ग्रहण नहं करती है, पीती नहीं है.
खोदी : खोदकर, स्वंय के प्रयत्न के आधार पर.
पियन की : पीने की, पान करने की.
हौंस : इच्छा है, मन में लालसा है.
कबीर साहेब की वाणी है की यह जीवात्मा निरंतर राम के नाम का रटन लगाए बैठी है. राम से आशय इश्वर से है (पूर्ण परम ब्रह्म). राम नाम के निरंतर जाप से, पुकारने से उसकी जीव्हा पर छाले पड़ गए हैं. भाव है की जीवात्मा भक्ति को चरम अवस्था में कर रही है और कैसे भी स्वंय के प्रयत्नों के आधार पर इश्वर से मिलना चाहती है.
कबीर के दोहे हिंदी भावार्थ/हिंदी अर्थ/ हिंदी मीनिंग सहित। श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग
+

एक टिप्पणी भेजें