गुरु गुण का सागर तमने लाख लाख वंदन लिरिक्स Guru Gun Ka Sagar Tamane Lakh Lakh Vandan Lyrics

गुरु गुण का सागर तमने लाख लाख वंदन लिरिक्स Guru Gun Ka Sagar Tamane Lakh Lakh Vandan Lyrics


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गुरु गुण का सागर है आपको (तमने) लाख लाख बार वंदन, नमन। गुरु के बिना ज्ञान की उत्पत्ति संभव नहीं है। गुरु से ज्ञान उपजता है, गुरु के बगैर मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त नहीं होता है। सातों द्वीपों और नौ खंड में गुरु की महिमा सबसे सर्वोच्च है। गुरु के द्वारा प्रदत्त ज्ञान से ही सभी क्रियाएं सम्भव हैं। गुरु की वाणी अटपटी है जो तुरंत (झटपट) समझी नहीं जा सकती है, इसके लिए समय और ध्यान की आवश्यकता होती है। जो जन तुरंत गुरु की वाणी को समझ सकने में समर्थ होता है उसके सभी क्लेश/विकार (खटपट) समाप्त हो जाते हैं।

गुरु ज्ञान का सागर है, ऐसे गुणवान गुरु को लाख लाख बार वंदन। गुरुदेव, यह जीवात्मा बहुत ही अज्ञानी है इसके हृदय में ज्ञान रूपी दीपक जला देना। चारों तरफ अज्ञान का अन्धकार छाया है। गुरु ही ज्ञान का दीपक जलाकर सत्य का प्रकाश उत्पन्न करते हैं जिससे माया का भ्रम दूर होता है।

गुरु ज्ञान के अभाव में जीवात्मा चौरासी लाख योनियों में भटकती हुई आई है, अबकी बार गुरुदेव अपने ज्ञान से जीवात्मा के आवागमन के फेर को समाप्त कर देना। जीवात्मा सांसारिक विषय वासनाओं में डूबती रहती है जिसे आप ही बचा सकते हैं। आपकी कृपा से ही आवागमन का बंधन समाप्त होता है।
गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोक्ष,
गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मैटैं न दोष,
सात द्वीप नौ खंड में, गुरु से बड़ा न कोय,
करता कौ कछु ना कर सके, गुरु करे सो होय,
गुरु की वाणी अटपटी झटपट लखी न जाए,
जो जन झटपट लखी लए, वाकी खटपट मिट जाए।

लाख लाख वंदन तमने, कोटि कोटि वंदन
गुरु गम का सागर तमने लाख लाख वंदन,
गुरु गुण का सागर तमने लाख लाख वंदन,
लाख लाख वंदन तमने, कोटि कोटि वंदन,
गुरु गुण का सागर तमने लाख लाख वंदन।

अज्ञान जिवोडो, गुरु जी शरण में आयो
ज्ञान को दीपक गुरु जी, जलाई हो दीजो
गुरु गम का सागर तमने, लाख लाख वंदन,
अज्ञानी जीवडो चरणों चरणों में आयो
ज्ञान को दीपक गुरूजी, जलाई हो दियो,
गुरु गम का सागर तमने लाख लाख वंदन।

लख़ हो चौरासी जीवड़ों भटक की ने आयो,
अब की चौरासी गुरूजी,
म्हारी अबकी चौरासी गुरूजी, छुड़ा हो दीज्यो,
गुरु गम का सागर तमने लाख लाख वंदन।

डूबत डूबत हो गुरूजी, आपने बचाया,
अब को जीवन हो गुरूजी, सँवार दीज्यो,
अब को जीवन हो गुरूजी,
म्हारो अबको जीवन, सँवार हो दीज्यो,
गुरु गुण का सागर तमने लाख लाख वंदन।

इना हो सेवक की गुरूजी अरज गुसाई,
ए आवागमन को बंधन,
म्हारो आवागमन को बंधन, छुड़ाई हो दीज्यो
गुरु गुण का सागर तमने लाख लाख वंदन।
गुरु गुण का सागर तमने लाख लाख वंदन।


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