कबीर पीर पिरावनी मीनिंग Kabir Peer Peeravani Hindi Meaning
कबीर पीर पिरावनी मीनिंग Kabir Peer Peeravani Hindi Meaning
कबीर पीर पिरावनीं, पंजर पीड़ न जाइ।
एक ज पीड़ परीति की, रही कलेजा छाइ॥
Kabir Peer Piraavani, Panjar Peed Na Jaai,
Ek Je Peed Pariti Ki, Rahi Kaleja Chhai.
एक ज पीड़ परीति की, रही कलेजा छाइ॥
Kabir Peer Piraavani, Panjar Peed Na Jaai,
Ek Je Peed Pariti Ki, Rahi Kaleja Chhai.
कबीर दोहा शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning
पीर - पीड़ा, वेदना।
पिरावनीं-पीड़ा देने वाली।
पंजर - पिंजर/शरीर का पंजर, कंकाल।
पीड़ न जाइ-पीड़ा दूर नहीं होती है।
एक ज पीड़- एक जो पीड़ा।
परीति- प्रीत, स्नेह।
रही कलेजा छाइ-हृदय में बनी रहती है.
पीर - पीड़ा, वेदना।
पिरावनीं-पीड़ा देने वाली।
पंजर - पिंजर/शरीर का पंजर, कंकाल।
पीड़ न जाइ-पीड़ा दूर नहीं होती है।
एक ज पीड़- एक जो पीड़ा।
परीति- प्रीत, स्नेह।
रही कलेजा छाइ-हृदय में बनी रहती है.
कबीर दोहा हिंदी मीनिंग : विरह की पीड़ा अत्यंत ही दुःख देने वाली होती है। विरह की यह पीड़ा शरीर से दूर नहीं हो पाती है। हृदय की यह पीड़ा कलेजे में व्याप्त होकर रह गई है। साखी में कबीर साहेब के द्वारा पीड़ा के हृदय की गहराइयों में व्याप्त हो गई है। वह उपचार के बाद भी शरीर में बनी रहती है क्योंकि यह पीड़ा ईश्वर से मिलन की है। जब ईश्वर से मिलन होता है तभी यह पीड़ा शरीर से मुक्त हो सकती है।