चोट सताड़ी बिरह की मीनिंग कबीर के दोहे

चोट सताड़ी बिरह की मीनिंग Chot Sataadi Birah Ki Hindi Meaning

चोट सताड़ी बिरह की, सब तन जर जर होइ।
मारणहारा जाँणिहै, कै जिहिं लागी सोइ॥
 
Chot Sataadi Birah Ki, Sab Tan Jar Jar Hoi,
Maranhaara Janihi, Ke Jihi Laagi Soi 
 
चोट सताड़ी बिरह की, सब तन जर जर होइ। मारणहारा जाँणिहै, कै जिहिं लागी सोइ॥

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning

चोट सतांड़ी-सताने वाली।
बिरह की-विरह की।
सब तन -तन का।
जर जर होइ-जर्जर होना, जीर्ण होना ।
मारणहारा- मारने वाला। (या तो मारने वाला जानता है या फिर जिस पर व्याधि आई है वह जानता है )
जाँणि है- जानता है।
कै जिहिं लागी सोइ-या जो विरह की अग्नि में जल रही हैं वो समझ सकता है।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग

विरह की चोट अत्यंत ही दुखदाई होती है। विरह की चोट लगने से जीवात्मा जर्जर हो जाती है। इस अवस्था को या तो मारने वाला जानता है या फिर विरह की अग्नि में जल रही जीवात्मा ही जान पाती है। विरह की अनुभूति नितांत ही व्यक्तिगत होती है। इसे या तो प्रेमी या फिर विरह की अग्नि में जल रही जीवात्मा ही जान पाती है। 

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1 टिप्पणी

  1. Very nice