श्री कृष्ण शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है "श्याम वर्ण (रंग ) वाला, या कुछ नीला। कृष्ण का शाब्दिक अर्थ है जो सभी को अपनी तरफ आकर्षित करता हो।
कृष्ण शब्द दो शब्दों के योग से बना है जिसका अर्थ है
कृष्- (Krish) उत्तम, सभी को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला।
ण - (Naa) भक्ति/परम आनंद। (भक्ति और परमानंद देने वाला )
कृष्- (Krish) उत्तम, सभी को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला।
ण - (Naa) भक्ति/परम आनंद। (भक्ति और परमानंद देने वाला )
इस प्रकार से 'कृष्ण' का अर्थ हुआ 'जो ईश्वर की परम भक्ति दे वह उत्कृष्ट (श्री कृष्ण).
पापं कर्षयति, निर्मूलयति -यहाँ पर कृष्ण शब्द से आशय है करोड़ों जन्मों के पाप कार्यों के फल को दूर करने वाला।
कर्षति सर्व कृष्णः -जो समस्त को अपनी और आकर्षित करता है और भक्ति प्रदान करता है।
कृष्टेर्विलेखनार्थस्य रूप भक्तजनपापादिदोषकर्षणात् कृष्णः -जो अपने भक्तों के पापों का नाश (खुरच कर ) कर देता है, श्री कृष्ण।
महस्रनाम्नां पुण्यानां त्रिरावृत्त्या तु यत्फलम् ।
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य नामैकं तत्प्रयच्छति ॥१९॥
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य नामैकं तत्प्रयच्छति ॥१९॥
भगवान श्री विष्णु जी के हजारों नाम का जाप करके जो परिणाम प्राप्त किये जाते हैं वह श्री कृष्ण जी के नाम के जप से ही प्राप्त किए जा सकते हैं। विष्णु जी त्रिदेवों में से एक हैं और भगवान विष्णु दशावतार माने जाते हैं क्योंकि इनके दस अवतार हैं। जब जब मानवता पर अत्याचार बढ़ जाता है और पाप की वृद्धि होती है तब तब भगवान विष्णु जी अवतार लेते हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता में इस सबंध में भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा कहा गया है :
श्रीमद्भगवद्गीता में इस सबंध में भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा कहा गया है :
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे॥
अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे॥
भगवान विष्णु के दस अवतार निम्न प्रकार से हैं -
- मत्स्य
- कूर्म
- वराह
- नरसिंह
- वामन
- परशुराम
- राम
- कृष्ण
- बुद्ध
- कल्कि
श्री कृष्ण : भगवान श्री कृष्ण त्रिदेवों में से एक विष्णु जी के आठवे अवतार हैं। कृष्ण को उनकी लीलाओं और कर्मों के आधार पर अनेकों नामों से जाना जाता है यथा कान्हा, श्याम, गोविन्द, गोपाल, मुरारी, केशव, नन्द किशोर, द्वारकेश या द्वारकाधीश, बनवारी, वासुदेव रणछोड़ आदि। कृष्ण शब्द संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ 'काला', 'गहरा नीला' होता है। सामान्य रूप में हम जो कृष्ण की छवि देखते हैं उनमे कृष्ण को विष्णु जी की भाँती गहरे नीले रंग में दर्शाया जाता है। भगवान श्री विष्णु जी ने आठवे अवतार के रूप में माता देवकी और वसुदेव के घर जन्म लिया था। कंश के भय के कारण कृष्ण का लालन पोषण माता यशोदा और नन्द जी के यहाँ पर हुआ। आगे चलकर श्री कृष्ण जी ने ही कंस का वध भी किया।
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