मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है जो अपनी सुंदरता और मधुर वाणी, शुभ काल का प्रतीक और धार्मिक महत्ता के लिए विख्यात है। भारत के अतिरिक्त नीला मोर श्रीलंका और म्यांमार का भी राष्ट्रीय पक्षी है। इसके पंख, मोर पंख का धार्मिक और सामजिक रूप से महत्त्व है। आइये इस लेख में हम मोर से जुड़े रोचक तथ्य (Facts) और जानकारीयां (Information About Peacock In Hindi) को जान लेते हैं.
मोर के बारे में जानकारी फैक्ट्स
भारतीय मोर (About Peacock In Hindi)
भारतीय मोर (Indian peafowl) जिसे नीला मोर (Blue peafowl) भी कहते हैं का वैज्ञानिक नाम पैवो क्रिस्टैटस (Pavo cristatus) है।
नीले रंग और हरे रंग के मोर के अतिरिक्त मोर सफ़ेद धुमैला (grey) रंग भी होते हैं।
मोर की प्रमुख तीन प्रजातियां होती हैं, एशियाई नीले मोर (Blue Peacock), एशियाई हरे मोर (Green Peacock), अफ्रीकन मोर (African Congo Peacock)
मोर फैसियानिडाई परिवार का सदस्य है और इसका वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस है।
मोर की उम्र लगभग 15 से 20 साल तक होती है लेकिन यदि परिस्थियाँ अनुकूल हों तो मोर की उम्र बढ़ भी सकती है।
मादा मोर या मोरनी को Peahen कहा जाता हैं। मादा मोर छोटे होते है जो भूरे रंग के होते हैं, मोर के परिवार को "bevy" और मोरों के समूह को "party" कहा जाता है।
मोर संरक्षण कानून (Peacock Protection law In Hindi)
मोर के राष्ट्रीय पक्षी होने की अतिरिक्त मोर का धार्मिक और सामजिक महत्त्व भी है। यही कारण है की मोर की उपयोगिता और महत्त्व के आधार पर वन्य जीव संरक्षण कानून 1972 के तहत मोर को सुरक्षा दी गई है। लेकिन इसके बावजूद भी मोरो की संख्या में तेजी से गिरावट हो रही है।
जनवरी 1963 को मोर के महत्त्व को स्थापित करते हुए इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था.
राष्ट्रीय पक्षी मोर की मृत्यु हो जाने के उपरान्त उसे प्रोटोकॉल के तहत अंतिम विदाई दी जाती है।
यदि कोई व्यक्ति मोर को मारता है तो उसे 7 साल की सजा का प्रावधान है.
मोर के नाम (More Name of peacock In Hindi)
मोर की प्रमुख तीन प्रजातियां होती हैं, एशियाई नीले मोर (Blue Peacock), एशियाई हरे मोर (Green Peacock), अफ्रीकन मोर (African Congo Peacock)
मोर को मयूर, शिखी, सितापांग, नर्तकप्रिय, मेहप्रिय, केक, नीलकंठ, शिखावल, सारंग, ध्वजी आदि नामों से जाना जाता है।
मोर का संस्कृत में नाम भुजंगभुक है और मोर को फारसी में ताउस कहते हैं।
मोर के प्रकार (Types of Peacocks In Hindi)
मोर की प्रमुख तीन प्रजातियां होती हैं, एशियाई नीले मोर (Blue Peacock), एशियाई हरे मोर (Green Peacock), अफ्रीकन मोर (African Congo Peacock)
मोर का निवास (Peacock’s Residence In Hindi)
मोर बड़े समूह में रहना पसंद नहीं करते हैं बल्कि वे छोटे छोटे समूह में विभाजित होकर रहते हैं।
मोर, मोरनी की तुलना में बड़ा होता है। मोर का वजन 4 से 6 किलोग्राम तक हो सकता है। मोरनी आकार में छोटी होती है और इसका वजन 4 किलोग्राम तक हो सकता है।
साँपों से मोर की दुश्मनी होती है। सांप अक्सर मोर से दूरी बनाये रखते हैं। इसलिए ग्रामीण भारत में सांप को घर से दूर करने के लिए घर के आस पास ही मोर को पाला जाता था।
मोर (मयूर) उड़ने वाले बड़े पक्षियों में से एक है इसका मूलस्थान दक्षिणी और दक्षिणपूर्वी एशिया में है.
पड़ोसी देश म्यांमार का राष्ट्रीय पक्षी भी मोर ही है।
मोर का वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेट्स है।
मोर खेतों में, निर्जन स्थानों पर और गर्म स्थानों पर रहना पसंद करते हैं। ये नीम, खेजड़ी, शीशम के पेड़ों पर बैठते हैं और अधिक ऊंचाई के पेड़ों पर नहीं बैठते हैं। ये अक्सर ही झाड़ियों में भी रहना पसंद करते हैं।
मोर वैसे तो एकांत प्रिय होते हैं लेकिन भोजन और पानी की तलाश में कई बार मोर मनुष्य की आबादी तक आ जाते हैं।
मोर की आकृति (Peacock’s shape In Hindi)
मोर आकृति में मध्यम होता है लेकिन सामान्य पक्षियों से बड़ा होता है। मोर की लंबाई लगभग 1 मीटर और मोर की ऊँचाई लगभग 1.5 मीटर तक होती है। भारतीय मोर की नीली गर्दन बहुत ही खूबसूरत होती है। मोर के सर पर एक कलंगी होती है जो इसकी खूबसूरती को बढ़ाती है। मोर के पंख की तुलना में इसके पैरों को अधिक खूबसूरत नहीं माना जाता है।
मोरनी के पंख नहीं होते हैं बल्कि मोर के खूबसूरत पंख होते हैं। मोरनी की खूबसूरती इसकी चाल से हैं। सुन्दर स्त्री की चाल को हंसिनी और मोरनी की चाल कहा जाता है।
मोर (Peacock) की आँखों मोटी और सुन्दर होती हैं, इसकी आखों के ऊपर और निचे सफ़ेद रंग की गोल आकृति होती है जो इसकी आखों को और अधिक सुंदर बना देते हैं।
मोर की पूँछ में 200 से अधिक संख्या में लम्बे पंख हो सकते हैं जो की सुंदरता का प्रतीक होते हैं। इसके रंग अधिक चटकीले होते हैं।
मोर के पंख बड़े होते हैं और इसके पंखों का फैलाव 4.9 (1.5 मीटर) तक होता है।
अगस्त महीने के आस पास मोर अपने पुराने पंखों का त्याग कर देते हैं और उनके नए पंख उगते हैं।
भारतीय मोर की गर्दन और कलंगी नीली होती है जो बहुत चमकदार और सुंदर दिखाई देती है.मोर की चोंच भी सुन्दर होती है जिसकी लम्बाई 1 इंच होती है।
मोर के सर पर एक सुन्दर कलंगी होती है जो मोर की सुंदरता को और अधिक बढ़ा देती है। मोर की कलंगी के कारण ही इसे पक्षियों का राजा कहा जाता है।
मोर भारी होने के कारण ज्यादा दूरी तक उड़ नहीं सकता है। यह अक्सर जमीन या वृक्ष पर ही रहता है। मोर जमीन पर 10 मील प्रति घंटा (16 किलोमीटर प्रति घंटा) गति से दौड़ सकता है।
भारतीय मोर अक्सर अकेले, जोड़ों में या समूहों में रहते व घूमते हैं लेकिन वे बड़े समूह में नहीं रहते हैं।
सफ़ेद मोर प्रायः चिडियाघर में ही दिखाई देता है।
नर मोर के एक लम्बी पंखों की पूंछ होती है जिसमें लगभग १५० पंख होते हैं जो चकटीले रंगों से युक्त होते हैं। इन पंखों पर आँख जैसी आकृति होती है जो बहुत अधिक सुन्दर दिखाई देती है।
सामान्य रूप से मोर पेड़ पौधों के फल और पत्तियों को खाते हैं लेकिन मोर छोटे सरीसृपों को भी खाते हैं यथा सांप के बच्चे, उभयचर, तितली, मक्खी, चूजे और चूहे आदि।
मोर का जीवनकाल (Peacock’s Lifespan In Hindi)
मोर का जीवनकाल 10 से २० वर्ष तक होता है। अनुकूल परिस्थितियों में मोर अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं।
मादा मोर (मोरनी) एक बार में 3 से 6 अंडे देती है। मोरनी जमीन पर घोसला बनाकर अंडे देती है। अण्डों को सेने, देखभाल करने का काम मोरनी ही करती है। लगभग 28 के बाद अण्डों से चूजे बाहर निकल आते हैं और एक दिन के बाद ही चलने फिरने और खाने के लायक बन जाते हैं।
मोर के शिशु नर और मादा एक जैसे ही होते हैं. लगभग एक साल बाद नर मोर के पीछे के पंख निकलने शुरू होते हैं. मोर के बच्चे अण्डों से निकलते हैं और एक दिन पश्चात ही चलने फिरने, खाने पीने लग जाते हैं.
जमीन के अतिरिक्त मोर कम ऊंचाई के वृक्ष पर घौंसला बनाकर अंडे देते हैं।
क्या आप जानते हैं :-
मोर दक्षिण एशिया के मूल का पक्षी है लेकिन मोर उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के कई अन्य हिस्सों में पाए जाते हैं।
नर मोर को मोर और मादा को मोरनी कहा जाता है।
मोर अपने खूबसूरत और रंगीन पंखों के लिए जाने जाते हैं। नर मोर की पीठ पर चमकीले चटक नीले और हरे रंग के पंख होते हैं, लंबे, इंद्रधनुषी पूंछ वाले पंख होते हैं जो प्रेमालाप प्रदर्शित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। मादा मोर का रंग अधिक मटमैला होता है और लंबी पूंछ नहीं होती है।
मोर सामाजिक पक्षी हैं और समूहों में रहते हैं जिन्हें "पार्टियां" या "प्राइड्स" कहा जाता है। इन समूहों में आमतौर पर एक मोर और मोरनिया शामिल होते हैं।
मोर सर्वाहारी होते हैं और विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खाते हैं, जिनमें फल, बीज, कीड़े, छोटे सरीसृप शामिल हैं।
मोर अपने बड़े आकार और भारी पंखों के बावजूद उड़ने में सक्षम होते हैं। हालांकि, वे दौड़ना या चलना पसंद करते हैं, और अपने पंखों का उपयोग मुख्य रूप से संतुलन और प्रदर्शन के लिए करते हैं।
मोर के पास एक अद्वितीय स्वर है, जो एक ज़ोरदार, ऊँची-ऊँची आवाज़ है जो "पीहू" की तरह लगता है। वे कई तरह की अन्य आवाजें भी निकालते हैं।
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है, जहाँ इसे सुंदरता, अनुग्रह और गौरव और शान्ति का प्रतीक माना जाता है।
भौतिक की सुरक्षा और संरक्षा
भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत मोर पूर्ण रूप से संरक्षित जीव है जिसका शिकार करना, पालना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद भी मोरो की संख्या में तेजी से कमी आ रही है।
मोर एकांत में रहना पसंद करते हैं लेकिन मोर के लिए वर्तमान में रहने को खुले और निर्जन स्थान कम होते जा रहे हैं। गावों की खाली पड़ी जमीन को खेतों में तब्दील किया जा रहा है जिससे झाड़ झंखड़ और वृक्ष की कटाई के कारण मोर के रहने के स्थानों की कमी होती जा रही है।
मोर में उड़ने की क्षमता तो होती है लेकिन शरीर बड़ा होने के कारण लम्बी उड़ान नहीं भर सकता है. मोर ओसत रूप से १६ किलोमीटर प्रति घंटा की गति से दौड़ सकता है।
मोर से जुड़े तथ्य (Facts related to peacocks In Hindi)
मोर और मोरनी के मिलन के विषय में एक किवदंती है की मोर के आंसू पीकर मोरनी गर्भधारण करती है लेकिन यह सत्य नहीं है. मोर और मोरनी सामान्य रूप से जैसे अन्य पक्षी मिलन करते हैं वैसे ही मिलन करते हैं और इसके उपरान्त मोरनी अंडे देती है.
भारतीय मोर अन्य मोर की प्रजातियों में अधिक सुन्दर होता है क्योंकि भारतीय मोर के पास ही सुन्दर और चटकीले रंगों के पंख होते हैं.
भारत के अतिरिक्त मोर नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, म्यांमार और पाकिस्तान जैसे देशों में भी पाया जाता है।
मोर सर्वहारी होते हैं और कीड़े, पौधों और छोटे जानवरों सहित विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों को खाते हैं।
पहाड़ी क्षेत्रों में मोर कम संख्या में दिखाई देते हैं. लंबे समय से मोर पहाड़ों में दिखने की बात संज्ञान में नहीं आई है।
नर मोर की लम्बाई करीब 215 सेंटीमीटर व ऊंचाई 50 सेंटीमीटर तक हो सकती है.
पानी की उपलब्धता के आधार पर मोर नम और सूखी पर्णपाती जंगलों में रहना पसंद करते हैं।
आमतौर पर मोर तैर नहीं सकते हैं।
नर मोर को "मोर" और मादा मोर को "मोरनी" कहा जाता है।
मोरनी की चाल को अत्यंत सुन्दर माना गया है और सुंदर स्त्री की चाल को मोरनी की चाल से तुलना की जाती है।
मोर को कई नामों से पुकारा जाता है यथा मयूर, शिखी, सितापांग, नर्तकप्रिय, मेहप्रिय, केक, नीलकंठ, शिखावल, सारंग, ध्वजी आदि।
मोर के पंख लम्बे होते हैं जो मोर की कुल लम्बाई का 60 प्रतिशत तक हो सकता है।
बारिश के मौसम में मोर प्रणय क्रीड़ा करते हैं और नर मोर पंख फैलाकर नाचता है जो अत्यंत ही सुंदर दिखाई देता है।
मोर को अरबी भाषा में मोर को ‘ताऊस’ कहा जाता है।
मोर को यद्यपि संरक्षण प्राप्त है लेकिन फिर भी इसकी आबादी तेजी से घट रही है।
मोर का एतिहासिक महत्त्व
प्राचीन काल में मोर पंख को स्याही में डुबोकर इसे कलम की भाँती उपयोग में लाया जाता था।
मोर के बारे में प्राचीन वर्णन प्राप्त होते हैं, सुलेमान राजा द्वारा कई मूल्यवान वस्तुओं को जहाज के द्वारा एशिया से बाहर ले जाया गया था, इनमें मोर भी था.
मोर अत्यंत ही लोकप्रिय पक्षी होता है जिसका वर्णन पंचतंत्र से लेकर पौराणिक कथाओं तक सभी स्थानों पर प्राप्त होता है.
महाकवि कालिदास ने महाकाव्य ‘मेघदूत’ में मोर को उच्च स्थान दिया गया है। भारत में मुगलों के तख़्त को जो मोर जैसी आकृति का था उसे तख्त-ए-ताऊस कहा जाता था।
चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में चलन के सिक्कों में एक तरफ मोर की आकृति बनी हुई थी।
मान्यता है की सम्राट सिकंदर (Alexander the Great) अपने साथ ग्रीस ले गया जहाँ से मोर एशिया से निकल कर अन्य देशों तक फ़ैल गया।
राजस्थानी लोकगीतों, किस्सों और कहानियों में मोर का वर्णन प्रमुखता से प्राप्त होता है क्योंकि राजस्थान में मोर अधिकता से पाए जाते हैं।
मोर का धार्मिक महत्त्व
मां सरस्वती, श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी, इन्द्र देव, कार्तिकेय, श्री गणेश सभी मोर पंख से जुड़े हुए हैं.
मोर पंख वास्तु दोष और नकारात्मक उर्जा को दूर करता है.
भगवान श्री कृष्ण जी को हम अक्सर ही मोर के साथ चित्रित किया हुआ देखते हैं. मोर पंख को श्री कृष्ण जी ने अपने मस्तक पर स्थान दिया है. यही कारण है की मोर पंख को हम शुभ मानकर अपने मंदिर में रखते हैं. मोर का पंख सुन्दरता का भी एक अनूठा उदाहरण होता है. इसके चटक रंग सभी को अपनी और आकर्षित करते हैं. मान्यता है की मोर के पंख को घर में रखने से कीट, पतंगे, छिपकली आदि घर में नहीं रहते हैं. इसके अतिरिक्त मोर पंख के घर में रखने से सांप भी घर से दूर रहते हैं.
कार्तिकेय का वाहन मोर होता है. देवी देवताओं के वाहन के रूप में अनेको पशु पक्षी स्थापित हैं, जिससे उनके महत्त्व के बारे में जानकारी मिलती है. इससे हमें प्राणी जगत के प्रति दया भाव रखने की प्रेरणा मिलती और हम उनके प्रति और अधिक मानवीय हो जाते हैं, क्योंकि वे भी इश्वर के द्वारा ही निर्मित होते हैं. जैसे की विष्णु जी का वाहन गरुड़ है, माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू है ऐसी ही कार्तिकेय का वाहन मोर होता है
मोर राष्ट्रीय पक्षी (Peacock national bird In Hindi)
मोर
भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। भारत सरकार ने 26 जनवरी,1963 को इसे
राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया है। भारत के अतिरिक्त नेपाल और म्यांमार का
राष्ट्रीय पक्षी भी मोर ही है।
राष्ट्रीय पक्षी के लिए पहले सारस , हंस आदि
विचारों पर गौर किया गया लेकिन काफी मंथन के उपरान्त मोर को राष्ट्रीय
पक्षी के रूप में चयन किया गया था। ऊटी, तमिलनाडु में 26 जनवरी 1963 को अंतिम बैठक राष्ट्रीय पक्षी तय करने को लेकर आयोजित की गई थी।
मोर का महत्त्व (Importance of Peacocks In Hindi)
प्रकृति के तंत्र के लिए भी मोर महत्पूर्ण है। मोर धार्मिक और सामाजिक रूप से मोर बहुत महत्पूर्ण है।
AMAZING PEACOCK DANC EBLUE WHITE PIED PEACOCK
वैज्ञानिक नाम:Afropavo, Pavo (पावो)
किंगडम/जीव-समूह:पशु
वर्ग:पक्षी
गण/समूह:Galliformes (गल्लिफोर्मेस)
कुल/परिवार:Phasianidae (फसियनाडे)
प्रमुख प्रजातियाँ:मोर की प्रमुख प्रजातियाँ हैं- नीला भारतीय उपमहाद्वीपीय मोर, हरा दक्षिण-पूर्व एशियाई मोर और अफ्रीका का कांगो मोर.
हिंदी मे मोर को क्या कहते है?
मोर हिंदी का ही शब्द है इसलिए अंग्रेजी के शब्द पीकॉक को हिंदी में मोर कहते हैं। मादा मोर को मोरनी कहा जाता है। मोर को अन्य कई नामों यथा मयूर, शिखी, सितापांग, नर्तकप्रिय, मेहप्रिय, केक, नीलकंठ, शिखावल, सारंग, ध्वजी आदि से जाना जाता है।
मोर के विभिन्न भाषाओं में नाम :-
English (UK/USA) - peacock
Hindi (India) - मोर (Mor)
Spanish (Spain/Latin America) - pavo real
French (France/Canada) - paon
German (Germany/Austria) - Pfau
Italian (Italy) - pavone
Portuguese (Portugal/Brazil) - pavão
Dutch (Netherlands/Belgium) - pauw
Russian (Russia) - павлин (pavlin)
Turkish (Turkey) - tavus kuşu
Japanese (Japan) - 孔雀 (Kujaku)
Korean (South Korea/North Korea) - 공작 (Gongjak)
Mandarin Chinese (China/Taiwan) - 孔雀 (kǒngquè)
Cantonese Chinese (Hong Kong/Macau) - 孔雀 (hung6zoek3)
मोर प्रायः शुष्क फल, बीज, कीट, कीड़े मकोड़े खाते हैं। कभी कभी वे सांप को भी अपना भोजन बना लेते हैं।
मोर के मुख्य उपयोग क्या है?
मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है। यह अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है। मोर के पंख सजावटी कार्यों में उपयोग में आते हैं।
मोर नाचते हुए भी क्यों रोता है?
किवदंती है की मोर मोरनी को रिझाते हुए आंसू बहाता है। पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि मोर के रोने से जो आंसू निकलते हैं उसे पीने से मोरनी गर्भवती हो जाती है लेकिन इसके कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
मोर कैसे जन्म देती है?
अन्य पक्षियों की भाँती ही मोर भी ''cloacal kiss'' के जरिये प्रजनन करते हैं.
भारत में कौन सा मोर पाया जाता है?
भारत में नीला मोर पाया जाता है। हरा और सफ़ेद मोर अभ्यारण में ही पाले जाते हैं।
छिपकली मोर के पंख से क्यों डरती है?
मोर पंख पर एक आँख जैसी आकृति होती है और मोर पंख हवा से हिलता है, ऐसे में छिपकली उसे सजीव समझ कर उससे दूर रहती है।