मूवाँ पीछै जिनि मिलै हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

मूवाँ पीछै जिनि मिलै हिंदी मीनिंग Muva Pichhe Jini Mile Hindi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit.

मूवाँ पीछै जिनि मिलै, कहै कबीरा राम।
पाथर घाटा लोह सब, (तब) पारस कौंणे काम।

Muva Picche Jini Mile, kahe Kabira Raam,
Pathar Ghata Loh Sab Paras Koune Kaam.
 
मूवाँ पीछै जिनि मिलै हिंदी मीनिंग Muva Pichhe Jini Mile Hindi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit.

कबीर दोहा शब्दार्थ हिंदी Kabir Doha Word Meaning

  • मूवाँ पीछै - मृत्यु उपरान्त।
  • जिनि मिलै- जिनको मिले, प्राप्त हुए।
  • पाथर - पत्थर।
  • घाटा - समाप्त हो जाना, घाटा /हानि होना।
  • लोह सब- समस्त लोहा।
  • पारस - पारस पत्थर।
  • कौंणे काम- किस काम का। 

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग: मृत्यु के उपरान्त यदि ईश्वर की प्राप्ति हो जाए तो उसका क्या प्रयोजन है। जीवन के रहते यदि हरि दर्शन हो जाए तो उसकी सार्थकता होती है। यदि लोहा ही समाप्त हो जाए (घटकर) तो पारस पत्थर की क्या उपयोगिता होगी। पारस पत्थर की उपयोगिता तभी तक है जब तक लोहा अस्तित्व में रहे, तभी वर पारस बन पायेगा। विरह में दग्ध जीवात्मा पूर्ण परमात्मा से मिलना चाहती है, वह चाहती है की उसे हरी की प्राप्ति हो जाए ताकि उसके चित्त में शान्ति मिले अन्यथा सांसाररिक विषय विकारों में उसे कहीं भी ठहराव नहीं मिल पाता है। 
 
एक तरफ वह चेतना के जाग्रत हो जाने के उपरान्त वह सांसारिक क्रियाओं में लिप्त नहीं होती है। दूसरी तरफ वह पूर्ण परम ब्रह्म से मिलन चाहती है लेकिन वह सम्भव नहीं हो पा रहा है। विरह की अग्नि में दग्ध जीवात्मा व्याकुल रहती है। 

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