संसै खाया सकल जग हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

संसै खाया सकल जग हिंदी मीनिंग Sanshe Khaya Sakal Jag Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit. Kabir Ke Dohe Hindi Me

संसै खाया सकल जग, संसा किनहुँ न खद्ध।
जे बेधे गुर अष्षिरां, तिनि संसा चुणि चुणि खद्ध॥

Sansai Aap Sakal Jag, Sansa Kinahun Na Khad.
Je Bedhe Gur Ashishiran, Tini Sansa Chuni Chuni Khad.
 
संसै खाया सकल जग, संसा किनहुँ न खद्ध। जे बेधे गुर अष्षिरां, तिनि संसा चुणि चुणि खद्ध॥

कबीर के दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Kabir Couplet (Doha)

संसै = संशय.
खाया-शिकार बना लिया.
सकल = समस्त.
किनहुँ -किसे भी.
खद्ध-खाया/शिकार बनाया.
जे बेधे- नष्ट कर देना.
अष्षिरां-अक्षर.
तिनि-उनको.
चुणि चुणि-चुन चुन कर.

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग Hindi Meaning of Kabir Doha/Sakhi

संशय/भ्रम ने समस्त जग को नष्ट किया है लेकिन किसी ने शंशय को नष्ट नहीं किया है. जिसने भी गुरु के ज्ञान को बेध दिया है, ग्रहण कर लिया है वह चुन चुन कर भ्रम को नष्ट करता है। 
कबीर की इस साखी का भाव है की गुरु के ज्ञान के अभाव में जीवात्मा माया/भ्रम का शिकार होकर रह जाती है. माया का भ्रम क्या है ? समस्त सांसारिक क्रियाएं भ्रम हैं। भ्रम का शिकार हो जाने पर जीवात्मा सांसारिक रीती रिवाज, कर्मकांड, तीर्थ, मूर्ति पूजा को भक्ति मार्ग का माध्यम मान लेती है। जबकि इनका वास्तविक भक्ति से कोई लेना देना नहीं है। सच्ची भक्ति हृदय से है, बाह्य कर्म और दिखावे में नहीं। भगवा धारण करना, नाना प्रकार के वेश धारण करना और हृदय में कपट के होने पर क्या वह भक्ति मार्ग पर बढ़ सकता है। 
 
स्पष्ट है की चाहे जितना भी सांसारिक क्रियाओं को कर लें, यदि हृदय से सच्ची हरी का सुमिरण नहीं किया जाए तो अवश्य ही वह का ग्रास बनेगा। कबीर साहेब की इस साखी में "चुनी चुनी में"  पुनाराक्तिप्रकाश अलंकार का उपयोग हुआ है, और भाषा मिली जुली सधुककडी है। 

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