भेला पाया श्रम सों मीनिंग

भेला पाया श्रम सों मीनिंग

भेला पाया श्रम सों, भौसागर के माँह।
जो छाँड़ौ तौ डूबिहौ, गहौं त डसिये बाँह॥

Bhela Paya Shram So, Bhosagar Ke Manh,
Jo Chhado To Dubiho, Gaho Te Dasiye Banh.
 
भेला पाया श्रम सों, भौसागर के माँह। जो छाँड़ौ तौ डूबिहौ, गहौं त डसिये बाँह॥

कबीर दोहा शब्दार्थ

भेला-बेड़ा, जहाज।
पाया- प्राप्त किया।
श्रम सों- यतन पूर्वक।
भौसागर-भव सागर।
के माँह- के अंदर।
जो छाँड़ौ- जो छोड़ दें तो।
तौ डूबिहौ- डूब जाएंगे
गहौं त-आश्रय देने पर।
डसिये- काटता है।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग

अत्यंत जतन के उपरान्त भवसागर से पार जाने के लिए एक जहाज मिला है लेकिन इस पर विरह का सर्प बैठा है। यह जहाज भव सागर के मध्य में है, यदि इसे छोड़ा जाए तो डूबने का भय है तो इसे आश्रय देने पर सांप के द्वारा काट खाने का भय बना रहता है।
दूसरे अर्थ में भव सागर से पार जाने के लिए सांप रूपी जहाज में सवार होना पड़ता है जो आश्रय देने पर काट खाने का खतरा बना रहता है वहीँ पर इसे छोड़ देने पर भव सागर में डूबने का खतरा रहता है। 

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