जेते तारे रैणि के तेतै बैरी मुझ हिंदी मीनिंग Jete Tare Ke Tete Bairi Meaning

जेते तारे रैणि के तेतै बैरी मुझ हिंदी मीनिंग Jete Tare Ke Tete Bairi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

जेते तारे रैणि के, तेतै बैरी मुझ।
धड़ सूली सिर कंगुरैं, तऊ न बिसारौं तुझ॥
 
Jete Tare Raini Ke Tete Bairi Mujh,
Dhad Suli Sir Kangure, Tau Na Bisaro Tujh.
 
जेते तारे रैणि के तेतै बैरी मुझ हिंदी मीनिंग Jete Tare Ke Tete Bairi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीर साहेब साधक को सन्देश देते हैं की वे सम्पूर्ण रूप से हरी के चरणों में समर्पित हो जाएँ। चाहे कैसी भी स्थिति हो, व्यक्ति को अपने प्राणों को भी गंवाना पड़े लेकिन फिर भी उसे अपनी दृढ भावना का त्याग नहीं करना चाहिए। प्रत्येक स्थिति में ईश्वर को याद करना चाहिए और हरी का स्मरण भूलना नहीं चाहिए।

इस दोहे में कबीर साहेब की वाणी है की जितने रात में तारे दीखते हैं यदि उतने मेरे शत्रु हो जाएँ और यदि मेरा धड़ सूली पर हो, और सर गढ़ के कंगूरे पर होगा, लेकिन फिर भी मैं ईश्वर को भूलने वाला नहीं हूँ। आशय है की भक्त अपने ईश्वर को किसी भी सूरत में भूलना नहीं चाहता है और हर स्थिति में ईश्वर को याद करना चाहता है। 
 
Meaning : In this couplet, Kabir Sahib gives the message to the devotee that he should completely surrender himself to the feet of Hari. Whatever the situation, even if the person has to lose his life, he should not give up his strong feeling. God should be remembered in every situation and the remembrance of Hari should not be forgotten.

In this couplet, Kabir Sahib says that even if all the stars that are visible in the night become my enemies and if my torso is on the cross and my head is on the battlement of the fort, still I am not going to forget God. The meaning is that the devotee does not want to forget his God under any circumstances and wants to remember God in every situation.

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
कबीर साहेब के दोहों की पीडीऍफ़ डाउनलोड करें Download Kabir Dohe PDF (Free Download) -

+

एक टिप्पणी भेजें