बिरहा बुरहा जिनि कहौ मीनिंग

बिरहा बुरहा जिनि कहौ मीनिंग

बिरहा बुरहा जिनि कहौ, बिरहा है सुलितान।
जिह घटि बिरह न संचरै, सो घट सदा मसान॥

Biraha Biraha Jini Kaho, Biraha hai Sulitaan,
Jih Ghati Birah Na Sanchre, so ghat Sada masaan.
 
बिरहा बुरहा जिनि कहौ मीनिंग Birah Buraha Jini Kaho Hindi Meaning

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word Meaning

बिरहा-विरह
बुरहा-बुरा।
जिनि कहौ- मत कहो।
सुलितान- राजा।
जिह घटि-जिस हृदय में।
बिरह न संचरै-विरह का संचरण नहीं होता है।
सो घट- ऐसा हृदय।
सदा-सदैव।
मसान- शमशान।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha/Sakhi Hindi meaning

प्रस्तुत साखी में कबीर साहेब साधक को संबोधित करते हुए कहते हैं की तुम विरह को बुरा मत समझो. विरह तो सुलतान है, शरीर का राजा है. जिस घट में विरह का वास नहीं होता है वह शमशान की भाँती से होता है. विरह से ही शरीर में जीवन का संचार होता है. विरह के अभाव में शरीर मृत तुल्य हो जाता है. 
 
विरह का होना आवश्यक इसलिए बताया गया है क्योंकि जीवात्मा जब इश्वर से अपना चित्त लगाएगी तभी उसमे विरह का संचार होगा. इश्वर ले चित्त लगाने पर ही विरह का संचार होता है. इसलिए विरह को शरीर में राजा के समान बताया गया है. जिस हृदय में इश्वर का वास नहीं होता वह कैसे उत्कृष्ट कही जा सकती है. 

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