सब रग तंत रबाब तन हिंदी मीनिंग Sab Rag Tant Rabaab Meaning
सब रग तंत रबाब तन हिंदी मीनिंग Sab Rag Tant Rabaab Meaning Kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit,
सब रग तंत रबाब तन, बिरह बजावै नित्त।
और न कोई सुणि सकै, कै साई के चित्त॥
और न कोई सुणि सकै, कै साई के चित्त॥
Sab Rag Tant Rabaab Tan, Birah Bajaave Nit.
Aur Na Koi Suni Sake Ke Saai Ke Chitt.
कबीर के दोहे हिंदी शब्दार्थ : Kabir Doha Word Meaning.
सब-सभी।रग-शिराएं।
तंत-तंत्री (पशु के चमड़े से निर्मित तंत्री)
रबाब- एक तरह का वाद्य यंत्र।
तन-शरीर।
बिरह-विरह।
बजावै-बजाता है।
नित्त-रोज, प्रतिदिन।
और न-और नहीं।
सुणि सकै-सुन सकता है।
कै साई-या तो ईश्वर।
के चित्त- या चित्त (साधक)
कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning
प्रस्तुत साखी में विरह की तीव्र वेदना को दर्शाया गया है. विरह के कारण शरीर रबाब बन गया है और समस्त शिराएं (तंत्रिका) तांत बन चुकी है। विरह नित्य ही इस रबाब को बजाता है। इस वाद्य यंत्र से निकलने वाली ध्वनि को या तो ईश्वर सुन सकता है या फिर साधक का चित्त ही। शरीर रूपी तंत्री पर तांतों का नित्य बजना होता है और ऐसा चित्रण शरीर में रोम रोम में विरह के प्रभाव को दर्शाता है। प्रस्तुत साखी में सांगरूपक अलंकार की व्यंजना हुई है। उल्लेखनीय है की विरह व्यक्तिक होता है, इसे या तो पीड़ित समझ सकता है या फिर विरह को देने वाला, अन्य कोई इसे समझ नहीं सकता है।
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