काबा फिर कासी भया राम भया मीनिंग

काबा फिर कासी भया राम भया रहीम हिंदी मीनिंग

काबा फिर कासी भया, राम भया रहीम।
मोट चून मैदा भया, बैठ कबीर जीम॥ 

Kaba Phir Kashi Bhaya, Ram Bhaya Rahim,
Mot Chun Maida Bhaya, Baith Kabir Jeem.
 
काबा फिर कासी भया राम भया रहीम हिंदी मीनिंग Kaba Phir Kasi Bhaya Meaning

कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग

जब गुरु का सानिध्य प्राप्त होता है तब गूढ़ रहस्य प्रकाशित होते हैं। कबीर साहेब इस दोहे में कहते हैं की जब गुरु का ज्ञान प्राप्त होता है तब राम और रहीम का भेद समाप्त हो जाता है। काबा कासी बन जाता है और राम रहीम बन जाता है। मोटा चून (स्थूल रूप ) सूक्ष्म रूप में तब्दील हो जाता है। मोटा अनाज मैदा (महीन आटे) में बदल गया है और कबीर रूपी साधक बैठकर जीम रहा है, भोजन ग्रहण कर रहा है। आशय है की गुरु के सानिध्य में सभी संशय मिट जाते हैं और जीवात्मा भक्ति को प्राप्त करता है। कबीर दास जी का यह दोहा सांप्रदायिक सद्भाव और धार्मिक एकता का संदेश देता है। इस दोहे में, कबीर दास जी कहते हैं कि जब तक साधक को वास्तविक ज्ञान नहीं होता है, तब तक वह अज्ञानियों की तरह धर्म-जाति आदि के भ्रम में पड़ा रहता है। ज्ञान-प्राप्ति के बाद वे राम-रहीम, हिन्दु-मुसलमान के भेद से ऊपर उठ जाते हैं। अब उनके लिए काबा और काशी में कोई अंतर नहीं रह जाता है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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