बिरहणि थी तो क्यूँ रही हिंदी मीनिंग Birahani Thi To Kyo Rahi Meaning Kabir Ke Dohe

बिरहणि थी तो क्यूँ रही हिंदी मीनिंग Birahani Thi To Kyo Rahi Meaning Kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth (Meaning) Sahit.

बिरहणि थी तो क्यूँ रही, जली न पीव के नालि।
रहु रहु मुगध गहेलड़ी, प्रेम न लाजूँ मारि॥
Birahani Thi To Kyu Rahi, Jali Na Peev Ke Nali,
Rahu Rahu Mugdh Gaheladi, Prem Na Laaju Maari

कबीर दोहे के शब्दार्थ Kabir Doha Word Meanin in Hndi

बिरहणि थी-यदि तुम विरहणी थी तो।
तो क्यूँ रही- तुम जीवित क्यों रही।
जली - जलकर मरना।
पीव के - प्रिय (हरी) के साथ।
नालि- के साथ।
रहु रहु - रह रह कर।
मुगध -मुग्ध।
गहेलड़ी- पीछे रहने वाली, देरी करने वाली (स्त्री की भाँती)
प्रेम न- प्रेम को नहीं।
लाजूँ मारि- प्रेम को लज्जित क्यों कर रही हों।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning.

कबीर साहेब की वाणी है की यदि तुम सच्ची विरहणी हो तो तुम दग्ध क्यों हो रही हो। तुम अपने प्रिय के साथ भस्म क्यों नहीं हो गई ? अपनी लज्जा के कारण देरी करने वाली मुग्धा तुम क्यों प्रेम को बदनाम कर रही हूँ। तुम प्रेम को लज्जित मत करो। भाव है की सच्ची ईश्वर जीवात्मा अपने प्रिय की याद/विरह में जीवित नहीं रहती है। वह अपने प्रिय से मिलने का उच्चतम प्रयत्न करती है। विरह को सम्पूर्णता से प्राप्त नहीं करने वाली जीवात्मा प्रेम को लज्जित करती है।
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