रुत सावण की मीनिंग दापू खान Daapu Khan Rut Sawan Ki Hindi Meaning

रुत सावण की मीनिंग दापू खान Daapu Khan Rut Sawan Ki Hindi Meaning

सावण आयो, बालमा, हो,
आभे में चमके बीज़,
उण दिन पिया घरे बसों,
आज हरियाली तीज,
गढ़ दिल्ली, गढ़ आगरो,
गढ़ सा बीकानेर,
भलो भणायो भाटिया सिरे जैसलमेर,
हरड़ खेडु नौ कोडडो,
भागा बारमेर,
घाट सुरंगी गोरियां,
गेहड़ो जैसलमेर,
मोरिया तू कुरलावियो,
मांझल ढलती रात,
का तना बिलदी जंपियो,
का बागे तदो बैराग,
ए मगराने रो मोरियो,
तालर चूंण चुगत।
रुत आई ना बोले,
जदे हिवड़ा फुट मरंत।

बोल पपैया पिया पिया,
रुत सावण री,
हे, ऐ रुत आवे पी सावण री,

बालम म्हारा, शिव जी म्हारा,
हो रिमझिम बरसे मेघ,
पिया गए मोहे परदेश,
मोजी हो पिया गए,
कागज़ लिखी मोरा जिया,
रुत आई ना बोले,
हे, ऐ रुत आवे पी सावण री,

मोर पपैया वन मा मीठा जी बोले,
कोयल गावे पिया मोहे,
बालमा म्हारे,सजना म्हारा,
रिमझिम बरसे मेह,

पिया मोरे,
पिया बसे परदेश मांझी,
लागत नहीं मोरा जिया,
बोल पपैया पिया पिया,
रुत सावण री,
हे, ऐ रुत आवे पी सावण री,
बालम म्हारा, शिव जी म्हारा,
हो रिमझिम बरसे मेघ,
पिया गए मोहे परदेश,
मोजी हो पिया गए,
कागज़ लिखी मोरा जिया,
रुत आई ना बोले,
हे, ऐ रुत आवे पी सावण री,

सावण आयो,
तीज भी आ गई,
सावण आयो बलमा,
तीज भी आ गई,
पिया बेस बा परदेस,
सजना म्हारा
बालम म्हारा, शिव जी म्हारा,
हो रिमझिम बरसे मेघ,
रुत सावण की मीनिंग दापू खान Daapu Khan Rut Sawan Ki Hindi Meaning, Rajasthani Folk Song Lyrics with Hindi Meaning.
सावण आयो, बालमा, हो- बालम (प्रिय) सावन आ गया है।
आभे में चमके बीज़- आकाश (आभे) में बिजली (बीज) चमक रही है।
उण दिन पिया घरे बसों- अब आप घर पर आ जाओ।
आज हरियाली तीज- आज हरियाली तीज है।
गढ़ दिल्ली, गढ़ आगरो- गढ़ दिल्ली का है, गढ़ आगरा का है।
(कुछ स्थानों पर इसे ऐसे भी कहा गया है -गढ़ दिल्ली गढ़ आगरो अधगढ़ बीकानेर!
भलो चुनियो भाटियों सिरे जैसलमेर)
गढ़ सा बीकानेर- और गढ़ बीकानेर है ( सा एक आदर सूचक शब्द है )
भलो भणायो भाटिया सिरे जैसलमेर- भला (अच्छा) . भाटियों ने बहुत ही अच्छा बीकानेर का गढ़ बनाया है। यहाँ पर बीकानेर के गढ़ को अन्य गढ़ से श्रेष्ठ बताया है।
हल खेडु नौ कोटडो- भागा बारमेर, खेती करने के लिए बाड़मेर।
लागे सुरंगी गोरियां-युवतियाँ सुंदर लगती हैं।
गहनों जैसलमेर-गहना तो जैसलमेर का ही है (विख्यात है )
मोरिया तू कुरलावियो- मोर तुम बोल रहे हो (पिऊ पिऊ कर रहे हो )
मांझल ढलती रात- ढलती रात को (मोर ढलती रात को बोल रहे हैं )
का तण बिलदी जंपियो,
का बागे तड़ो बैराग-तुम्हे क्या कहना है, तुम वैराग्य में क्यों हो, तुम्हे क्या परेशानी है।
ए मघराने रो मोरियो- अरे, पहाड़ो के मोर।
तालर चूंण चुगत- ताल तैलया पर खाना खाते हो। (चून - आटा /भोजन )
रुत आई ना बोले जद, जदे हिवड़ा फुट मरंत- रुत आने पर जब कोई बोले नहीं तो हृदय में दुःख होता है।
बोल पपैया पिया पिया,रुत सावण री,
हे, ऐ रुत आवे पी सावण री,
पपैया पिया पिया बोलो, सानव की ऋतू आई है।
बालम म्हारा, शिव जी म्हारा,
हो रिमझिम बरसे मेघ,
मेरे बालम, मेरे शिव (स्वामी) रिमझिम बादल बरस रहे हैं।
पिया गए मोहे परदेश,
मोजी हो पिया गए,
कागज़ लिखी मोरा जिया,
रुत आई ना बोले,
हे, ऐ रुत आवे पी सावण री,
मेरे पिया परदेस में बसते हैं, मेरा दिल चिट्ठी लिखता है। सावण की ऋतू आ गई है।
पिया बसे परदेश मांझी,
लागत नहीं मोरा जिया,
मेरे प्रिय तो परदेस में रहते हैं और मेरा जी नहीं लगता है।
सावण आयो,  तीज भी आ गई,
सावण आयो बलमा,
पिया बेस बा परदेस,
सावन आ गया है, तीज भी आ गई है। 

RUT SAWAN KI - Dapu Khan ║ BackPack Studio™ (Season 1) ║ Indian Folk Music - Rajasthan

This song describes the feelings of the residents of the Thar desert during a rainy day. It clearly indicates how rare the sight of rain is in these regions which is why nobody takes these events for granted and sees the rain as a blessing from the gods. Song Credits - Lead Vocals & Kamaicha - Dapu Khan (9983032271) Dholak - Jassu Khan (9660529019) Khartaal - Riddu Khan (9783733150), Kailash Khan (8290100973)
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