डब डब भरिया बाई सा रा नैण Dab Dab Bhariya Baai Sa Ra Nain Lyrics (Meaning) Sunita Swami Rajasthani Kavita Lyrics
श्री कानदान जी चारण जी की महान कविता सीखड़ली (लड़की की विदाई) पर आधारति है। श्री कानदान जी का जन्म झोरड़ा, नागौर में हुआ। श्री चारण जी की यह कविता सुनीता स्वामी जी की आवाज में है। चूँकि यह राजस्थानी भाषा में है इसका हिंदी मीनिंग निचे दिया गया है।
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण,
लाडलड़ी रा नैण,
दोरो घणों सासरियो,
डब डब भरिया।
मावड़ जाण कळेजै री कोर,
फूल माथै पाँख्या धरी,
माथै कर कर, पलकां री छांय,
पाल पोस मोटी करी,
राखी नैणां री पुतळी जाण,
मोतीड़ा सूं महंगी करी,
कर कर आघ,
लडाई घण लाड,
भरीजी मन गाढ,
जीवण मीठो ज़हर पियो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण,
डूबी सोच समंदड़ै रै बीच,
तरंगा में उळझ पड़ी,
जाणै मूँगी मोतीड़ा लाल,
पल्लै बंधी खुल पड़ी,
भरियो नैणां में ममता रो नीर,
लाडलड़ी ने गोद भरी,
जागी जागी कळैजै री पीड़,
हिये सूं लीवी भीड़,
गरड़ गरड़ हिवड़ो भर्यो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण,
भाभीसा काढ़ काजळियै री रेख,
सँवारी हिंगळू मांगड़ली,
बीरो सा लाया सदा सुरंगो बेस,
ओढाई बोरंग चूंदड़ली,
बाबोसा फेरयो माथै पर हाथ,
दिराई बाई नै सीखड़ली,
ऊभो ऊभो साथणियां रो साथ,
जीजो सा रो गाथ,
नैणां जल ओसरियो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण,
करती कळझळ हिवड़ै रा टूक,
कूंकूं पगल्या आगै धरया,
कायर हिरणी सी मुड़ मुड़ देख,
आँख्या माथै हाथ धरया,
मुखड़ो मुरझायों बिछडंतां आज,
रो रो नैण राता करिया,
चाँद मुखड़े उदासी री रेख,
सुसक्या भरती देख,
सहेल्यां गायो मोरियो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण।
रथड़ै चढ़तोड़ी पाछल पोर,
सहेल्यां नै झालो दियो,
कूंकूं छाई बाजर हरियै खेत,
जाणै जियां झोलो बियो,
छळक्या नैण घूंघटियै री ओट,
काळजो काढ़ लियो,
काळी काळी काजळियै री रेख,
मगसी पड़गी देख,
नैणां सूं ढळक्यों काजळियो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण।
बंदी बाल पणै री प्रीत,
जातोड़ि जीवड़ो दोरो कियो,
रेसम रासां नै दी फ़णकार,
सागड़ी नै रथड़ो खड़यो,
धरती अम्बर रेखा रै बीच,
सोवण सूरज डूब गयो,
दिख्या दिख्या सासरियै रा रूँख,
रेतड़ली रा टूंक,
सौ कोसां रहग्यो पीवरियो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण,
बाईसा रा नैण, चिड़कली रा नैण,
लाडलड़ी रा नैण,
दोरो घणो सासरियो,
डब डब भरिया।
लाडलड़ी रा नैण,
दोरो घणों सासरियो,
डब डब भरिया।
मावड़ जाण कळेजै री कोर,
फूल माथै पाँख्या धरी,
माथै कर कर, पलकां री छांय,
पाल पोस मोटी करी,
राखी नैणां री पुतळी जाण,
मोतीड़ा सूं महंगी करी,
कर कर आघ,
लडाई घण लाड,
भरीजी मन गाढ,
जीवण मीठो ज़हर पियो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण,
डूबी सोच समंदड़ै रै बीच,
तरंगा में उळझ पड़ी,
जाणै मूँगी मोतीड़ा लाल,
पल्लै बंधी खुल पड़ी,
भरियो नैणां में ममता रो नीर,
लाडलड़ी ने गोद भरी,
जागी जागी कळैजै री पीड़,
हिये सूं लीवी भीड़,
गरड़ गरड़ हिवड़ो भर्यो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण,
भाभीसा काढ़ काजळियै री रेख,
सँवारी हिंगळू मांगड़ली,
बीरो सा लाया सदा सुरंगो बेस,
ओढाई बोरंग चूंदड़ली,
बाबोसा फेरयो माथै पर हाथ,
दिराई बाई नै सीखड़ली,
ऊभो ऊभो साथणियां रो साथ,
जीजो सा रो गाथ,
नैणां जल ओसरियो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण,
करती कळझळ हिवड़ै रा टूक,
कूंकूं पगल्या आगै धरया,
कायर हिरणी सी मुड़ मुड़ देख,
आँख्या माथै हाथ धरया,
मुखड़ो मुरझायों बिछडंतां आज,
रो रो नैण राता करिया,
चाँद मुखड़े उदासी री रेख,
सुसक्या भरती देख,
सहेल्यां गायो मोरियो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण।
रथड़ै चढ़तोड़ी पाछल पोर,
सहेल्यां नै झालो दियो,
कूंकूं छाई बाजर हरियै खेत,
जाणै जियां झोलो बियो,
छळक्या नैण घूंघटियै री ओट,
काळजो काढ़ लियो,
काळी काळी काजळियै री रेख,
मगसी पड़गी देख,
नैणां सूं ढळक्यों काजळियो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण।
बंदी बाल पणै री प्रीत,
जातोड़ि जीवड़ो दोरो कियो,
रेसम रासां नै दी फ़णकार,
सागड़ी नै रथड़ो खड़यो,
धरती अम्बर रेखा रै बीच,
सोवण सूरज डूब गयो,
दिख्या दिख्या सासरियै रा रूँख,
रेतड़ली रा टूंक,
सौ कोसां रहग्यो पीवरियो,
डब डब भरिया, बाई सा रा नैण,
बाईसा रा नैण, चिड़कली रा नैण,
लाडलड़ी रा नैण,
दोरो घणो सासरियो,
डब डब भरिया।
Sunita Swami || डब डब भरिया बाईसा रा नैण || सिखड़ली || Dab Dab Bhariya Baisa Ra Nen ||
डब डब भरिया-आँखों में आँसू भर आना (डब डब से अर्थ है आसुंओं से लबालब)
बाई सा रा नैण- बाईसा (लड़की को बाई कहते हैं और सा आदर सूचक शब्द है जैसे हम किसी नाम के आगे 'जी' लगाते हैं।
लाडलड़ी रा नैण- लाडली के नयन।
दोरो घणों सासरियो- दोरो (कठिन) ससुराल बहुत कठिन होता है, क्योंकि लड़की अपने माता पिता के सुख चैन को छोड़कर अनजान स्थान पर जाती है।
मावड़- माता ने।
कळेजै री कोर-माता के लिए लड़की कलेजे की कोर होती है।
फूल माथै-फूल के ऊपर (माथै )
पाँख्या धरी- कोमल पँख।
माथै कर करपलकां री छांय- माता अपनी लड़की के ऊपर पलकों की छाया रखती है।
पाल पोस मोटी करी- पाल पास कर बड़ी (मोटी ) करती है।
राखी नैणां री पुतळी जाण- उसे नैनों की पुतली की तरह से सुरक्षित रखती है।
मोतीड़ा सूं महंगी करी-और उसे मोतियों से भी महँगी की है।
डूबी सोच समंदड़ै रै बीच- चिंता के समंदर में वह डूबे जा रही है।
तरंगा में उळझ पड़ी- चिंताओं की तरंगों में वह उलझ पड़ी है।
पल्लै बंधी खुल पड़ी-जैसे पल्ले (पल्लू) से अमूल्य वस्तु खुल कर बिखर गई है।
भरियो नैणां में ममता रो नीर- माता के नैनों में ममता का जल आंसू रूप में भर गया है।
लाडलड़ी ने गोद भरी- लाडली की गोद भरी है।
जागी जागी कळैजै री पीड़- कलेजे में दुःख पैदा हो गया है।
हिये सूं लीवी भीड़,गरड़ गरड़ हिवड़ो भर्यो- हृदय में दुःख के कारण गरड़ गरड़ ध्वनि पैदा हो गई है, छाती भर आई है।
भाभीसा काढ़ काजळियै री रेख- भाजी ने काजल लगाया है।
सँवारी हिंगळू मांगड़ली-हिंगलू से माँग भरी है।
बीरो सा लाया सदा सुरंगो बेस-भाई सुरंगो, रंग बिरंगा बेस (वस्त्र) लेकर आए हैं।
ओढाई बोरंग चूंदड़ली-लड़की को चुनरी उढ़ाई है।
बाबोसा फेरयो माथै पर हाथ-बाई के माथे पर पिता (बाबो सा ) ने हाथ फिराया है।
दिराई बाई नै सीखड़ली-बाई को विदाई (सीखड़ली) दिलाई है।
बाई सा रा नैण- बाईसा (लड़की को बाई कहते हैं और सा आदर सूचक शब्द है जैसे हम किसी नाम के आगे 'जी' लगाते हैं।
लाडलड़ी रा नैण- लाडली के नयन।
दोरो घणों सासरियो- दोरो (कठिन) ससुराल बहुत कठिन होता है, क्योंकि लड़की अपने माता पिता के सुख चैन को छोड़कर अनजान स्थान पर जाती है।
मावड़- माता ने।
कळेजै री कोर-माता के लिए लड़की कलेजे की कोर होती है।
फूल माथै-फूल के ऊपर (माथै )
पाँख्या धरी- कोमल पँख।
माथै कर करपलकां री छांय- माता अपनी लड़की के ऊपर पलकों की छाया रखती है।
पाल पोस मोटी करी- पाल पास कर बड़ी (मोटी ) करती है।
राखी नैणां री पुतळी जाण- उसे नैनों की पुतली की तरह से सुरक्षित रखती है।
मोतीड़ा सूं महंगी करी-और उसे मोतियों से भी महँगी की है।
डूबी सोच समंदड़ै रै बीच- चिंता के समंदर में वह डूबे जा रही है।
तरंगा में उळझ पड़ी- चिंताओं की तरंगों में वह उलझ पड़ी है।
पल्लै बंधी खुल पड़ी-जैसे पल्ले (पल्लू) से अमूल्य वस्तु खुल कर बिखर गई है।
भरियो नैणां में ममता रो नीर- माता के नैनों में ममता का जल आंसू रूप में भर गया है।
लाडलड़ी ने गोद भरी- लाडली की गोद भरी है।
जागी जागी कळैजै री पीड़- कलेजे में दुःख पैदा हो गया है।
हिये सूं लीवी भीड़,गरड़ गरड़ हिवड़ो भर्यो- हृदय में दुःख के कारण गरड़ गरड़ ध्वनि पैदा हो गई है, छाती भर आई है।
भाभीसा काढ़ काजळियै री रेख- भाजी ने काजल लगाया है।
सँवारी हिंगळू मांगड़ली-हिंगलू से माँग भरी है।
बीरो सा लाया सदा सुरंगो बेस-भाई सुरंगो, रंग बिरंगा बेस (वस्त्र) लेकर आए हैं।
ओढाई बोरंग चूंदड़ली-लड़की को चुनरी उढ़ाई है।
बाबोसा फेरयो माथै पर हाथ-बाई के माथे पर पिता (बाबो सा ) ने हाथ फिराया है।
दिराई बाई नै सीखड़ली-बाई को विदाई (सीखड़ली) दिलाई है।
Dab Dab Bhariya, Baee Sa Ra Nain,
Laadaladee Ra Nain,
Doro Ghanon Saasariyo,
Dab Dab Bhariya.
Maavad Jaan Kalejai Ree Kor,
Phool Maathai Paankhya Dharee,
Maathai Kar Kar, Palakaan Ree Chhaany,
Paal Pos Motee Karee,
Raakhee Nainaan Ree Putalee Jaan,
Moteeda Soon Mahangee Karee,
Kar Kar Aagh,
Ladaee Ghan Laad,
Bhareejee Man Gaadh,
Jeevan Meetho Zahar Piyo,
Dab Dab Bhariya, Baee Sa Ra Nain,
Laadaladee Ra Nain,
Doro Ghanon Saasariyo,
Dab Dab Bhariya.
Maavad Jaan Kalejai Ree Kor,
Phool Maathai Paankhya Dharee,
Maathai Kar Kar, Palakaan Ree Chhaany,
Paal Pos Motee Karee,
Raakhee Nainaan Ree Putalee Jaan,
Moteeda Soon Mahangee Karee,
Kar Kar Aagh,
Ladaee Ghan Laad,
Bhareejee Man Gaadh,
Jeevan Meetho Zahar Piyo,
Dab Dab Bhariya, Baee Sa Ra Nain,
Dub Dub Bhariya Bai Sa Ra Nain Meaning, db db bhariya baai saa raa nain hindi meaning,
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