गुरु कुम्हार शिष कुंभ है गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट हिंदी मीनिंग Guru Kumhar Sheesh Kumbh Hai Gadi Gadi Kadhe Khot Hindi Meaning

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट-हिंदी मीनिंग/व्याख्या Guru Kumhar Sheesh Kumbh Hai Gadi Gadi Kadhe Khot

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट।
अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥ 

Guru Kumhaar Shish Kumbh Hai, Gadhi Gadhi Kaadhai Khot.
Antar Haath Sahaar Dai, Baahar Baahai Chot. 
 
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट हिंदी मीनिंग Guru Kumhar Sheesh Kumbh Hai Gadi Gadi Kadhe Khot Hindi Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग Kabir Ke Dohe Ka Hindi Meaning

गुरु ही शिष्य के चरित्र का निर्माण करता है, गुरु के अभाव में शिष्य एक माटी का अनगढ़ टुकड़ा ही होता है जिसे गुरु एक घड़े का आकार देते हैं, उसके चरित्र का निर्माण करते हैं।

जैसे कुम्भकार घड़ा बनाते वक़्त बाहर से तो चोट मारता है और अंदर से हलके हाथ से उसे सहारा भी देता हैं की कहीं कुम्भ टूट ना जाए, इसी भाँती गुरु भी उसके अवगुण को तो दूर करते हैं, उसके अवगुणों पर चोट करते हैं, लेकिन अंदर से उसे सहारा भी देते हैं, जिससे कहीं वह टूट ना जाए।

कबीर साहेब के विषय में एक बात और है जो गौरतलब है उनका ख़ालिश सत्य के साथ होना, उसमे हिन्दू मुस्लिम, बड़े छोटे का कोई भेद नहीं था। जहाँ एक और विदेशी शासकों के मुस्लिम धर्म में व्याप्त अंधविश्वास और स्वार्थ जनित रीती रिवाजों का विरोध कबीर साहेब ने किया वहीँ उन्होंने हिन्दू धर्म में व्याप्त पोंगा पंडितवाद, धार्मिक भाह्याचार, कर्मकांड, अंधविश्वास, चमत्कार, जाति प्रथा का भी मुखर विरोध किया। वस्तुतः कबीर आम जन, पीड़ित, शोषित, लोगों की जबान थे और इन लोगों ने कबीर के पथ का अनुसरण भी किया। 

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2 टिप्पणियां

  1. Bahut sundar tarike se Kabir Das ji ke vishay mein likha gaya hai
  2. कर भला,होगा भला