गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः, सतगुरु के दरबार, नर जाइये बारम्बार, भूली वस्तु बतावसी, मेरे सतगुरु हैं दातार,
म्हाने कर मनवार पिलायो सा, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी। म्हानें कर मनुहार पिलायो सा, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी।
असंख्य जुगा सु ,सुतो म्हारों हंसलो रे, म्हाने सुतोडा ने आय ,जगाया जी, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी। म्हानें कर मनुहार पिलायो सा, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी।
कुटुंब कबीलो म्हारों सब जग झूठो जी, म्हाने सतगुरु सही, समझायो जी, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी। म्हानें कर मनुहार पिलायो सा, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी।
आवुं नहीं जावूँ जग में मरुँ नहीं जन्मूँ रे, म्हाने अमरापुर रो, मारगियो बतायो जी, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी। म्हानें कर मनुहार पिलायो सा, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी।
अड़सठ तीरथ म्हारें गुरु जी रा चरणों में, म्हे गीता जी रो ज्ञान, गंगा नहायो जी, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी। म्हानें कर मनुहार पिलायो सा, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी।
देव नाथ गुरु, पूरा मिलिया रे, ओ तो राजा रे मान, यश गायो जी, सतगुरु सा माने ,प्रेम प्यालो पायो जी। सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी। म्हानें कर मनुहार पिलायो सा, सतगुरु सा म्हाने, प्रेम प्यालो पायो जी, दयालु म्हाने, हरी रस पायो जी।
Sunita Swami ||सतगुरु सा म्हाने प्रेम प्यालो पायो || Satguru Guru Vani || Satguru Prem Pyalo Payo
म्हाने - मुझे।
कर मनवार - मनुहार करके।
पिलायो सा- पिलाया जी (सा-आदर सूचक )
प्रेम प्यालो- हरी भक्ति का प्याला।
असंख्य जुगा सु -असंख्य युग से।
सुतो म्हारों हंसलो रे-जीवात्मा (हंसला ) सो रहा था (सोने से आशय अज्ञान की निंद्रा से है )
सुतोडा- सोते हुए को।
कुटुंब कबीलो- कुटुंब कबीला, रिश्तेदार।
सब जग झूठो जी-जगत झूठा है।
म्हाने सतगुरु सही- सतगुरु ने सही समझाया।
आवुं नहीं जावूँ -जगत में आवागमन (जन्म मरण) समाप्त हो जाए।
जग में मरुँ नहीं जन्मूँ रे- ना जन्म लूँ और नाहीं मरुँ।
म्हाने अमरापुर रो- मुझे अमरलोक (स्वर्ग) का।
मारगियो बतायो जी- राह (मार्ग) बताया।
अड़सठ तीरथ - समस्त अड़सठ तीर्थ गुरु के चरणों में है।
म्हे गीता जी रो ज्ञान, गंगा नहायो- गुरु के चरणों में गीता का ज्ञान और गंगा नहाने के समान यश मिलता है।