श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी मीनिंग Shri Krishna Govind Hare Muraari Lyrics Meaning
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी मीनिंग Shri Krishna Govind Hare Muraari Lyrics with Meaning in Hindi, Krishna Bhajan by Varsha Srivastava
यह मन्त्र श्री कृष्ण जी का महामंत्र है जिसके माध्यम से कृष्ण का आशीर्वाद सुगमता से प्राप्त होता है। इस मन्त्र का अर्थ है की ये प्रभु आप सभी को आकर्षित करने वाले हैं। आप मुझे भी भक्ति की तरफ आकर्षित कीजिए। आप गोविन्द हैं और आप ही मुरारी हैं। श्री कृष्ण गायों के रखवाले हैं, कृष्ण को गोविन्द नाम इंद्र भगवान ने पवित्र जल के छिड़काव के उपरांत प्रदान किया है। श्री कृष्ण स्वंय से भी अधिक ध्यान गाय का रखते थे। मुरारी से आशय है की श्री कृष्ण जी ने मुरा नाम के राक्षश का वध किया था।
अधिक जानिए : श्री कृष्ण को मुरारी क्यों कहा जाता है।
हे नाथ आप भगवान हैं, स्वामी हैं और मैं आपका बालक हूँ। आप मेरे प्राणों के रक्षक (वासुदेव) हैं। समस्त दुखों से मेरी रक्षा कीजिए।
अधिक जानिए : श्री कृष्ण को मुरारी क्यों कहा जाता है।
हे नाथ आप भगवान हैं, स्वामी हैं और मैं आपका बालक हूँ। आप मेरे प्राणों के रक्षक (वासुदेव) हैं। समस्त दुखों से मेरी रक्षा कीजिए।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी लिरिक्स Shri Krishna Govind Hare Muraari Lyrics Hindi
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासु देवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासु देवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
अधिक जानें : श्री कृष्ण नाम का अर्थ हिंदी में।
बंदी गृह के, तुम अवतारी,
कहीं जन्में कहीं पले मुरारी,
किसी के जाये, किसी के कहाये,
है अद्भुद, हर बात तिहारी,
है अद्भुद, हर बात तिहारी,
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासु देवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे,
बट गए दोनों में, आधे-आधे,
हे राधा नागर, हे भक्तवत्सल
सदैव भक्तों के, काम साधे,
सदैव भक्तों के, काम साधे,
वहीं गए वहीँ गए, वहीँ गए,
वहीँ गए जहाँ गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासु देवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
कहीं जन्में कहीं पले मुरारी,
किसी के जाये, किसी के कहाये,
है अद्भुद, हर बात तिहारी,
है अद्भुद, हर बात तिहारी,
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासु देवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे,
बट गए दोनों में, आधे-आधे,
हे राधा नागर, हे भक्तवत्सल
सदैव भक्तों के, काम साधे,
सदैव भक्तों के, काम साधे,
वहीं गए वहीँ गए, वहीँ गए,
वहीँ गए जहाँ गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासु देवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
गीता में उपदेश सुनाया,
धर्म युद्ध को धर्म बताया,
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा,
यह सन्देश तुम्हीं से पाया
अमर हैं गीता के बोल सारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासु देवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधू सखा त्वमेव,
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वं मम देव देवा।
राधे कृष्णा, कृष्णा, कृष्णा,
राधे कृष्णा, कृष्णा, कृष्णा,
राधे कृष्णा, कृष्णा, कृष्णा,
राधे कृष्णा, कृष्णा, कृष्णा,
( श्री बांके बिहारी की जय, श्री खाटू श्याम की जय )
धर्म युद्ध को धर्म बताया,
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा,
यह सन्देश तुम्हीं से पाया
अमर हैं गीता के बोल सारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासु देवा,
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधू सखा त्वमेव,
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वं मम देव देवा।
राधे कृष्णा, कृष्णा, कृष्णा,
राधे कृष्णा, कृष्णा, कृष्णा,
राधे कृष्णा, कृष्णा, कृष्णा,
राधे कृष्णा, कृष्णा, कृष्णा,
( श्री बांके बिहारी की जय, श्री खाटू श्याम की जय )
Beautiful Krishna Bhajan | Shri Krishna Govind Hare Murari | श्री कृष्णा गोविंद हरे मुरारी
श्री कृष्ण - हे ईश्वर (समस्त जगत को अपनी और आकर्षित करने वाले)
गोविन्द- श्री कृष्ण को गोविन्द कहा जाता है क्योंकि कृष्ण गायों के परम रक्षक हैं।
हरे - हे दुखों को हर लेने वाले, दुःख भजन।
मुरारी- मेरे अवगुणों को हर लीजिए, जैसे आपने मुरा नाम के राक्षश का वध किया था।
हे नाथ - हे स्वामी, हे ईश्वर।
नारायण - आप ईश्वर हैं। मैं आपका बालक (नर ) वहीँ आप नारायण हैं, मुझे भक्ति दीजिए।
वासुदेवा- वसु से आशय प्राण से है, आप मेरे प्राणों की रक्षा कीजिए।
पितु मात - माता और पिता।
स्वामी- मालिक।
सखा हमारे- हमारे दोस्त।
बंदी गृह के, तुम अवतारी- आप (श्री कृष्ण) बंदी गृह के अवतारी हैं, आपने बंदी गृह में जन्म लिया है )
कहीं जन्में कहीं पले मुरारी- आपका जन्म कहीं हुआ और आप कहीं अन्य स्थान पर पले बढे।
किसी के जाये, किसी के कहाये- कृष्ण माता देवकी और वासुदेव के पुत्र हैं और वे यशोदा और नन्द जी के पुत्र कहलाए।
है अद्भुद, हर बात तिहारी- आप अद्भुद हैं और आपकी (तिहारी) हर एक बात निराली है।
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे- मथुरा के तारे (कृष्ण) गोकुल में चमके हैं।
हे नाथ नारायण वासुदेवा- हे नाथ आप नारायण हैं और आप ही मेरे प्राणों के रक्षक हैं।
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी- हे श्री कृष्ण गोविन्द आप ही मुरारी हैं।
अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे- आपके होठों पर मुरली है और हृदय में राधा जी वास करती है।
बट गए दोनों में, आधे-आधे- आप दोनों के मध्य में आधे आधे बँटे हुए हैं।
हे राधा नागर, हे भक्तवत्सल- आप नागर हैं और भक्तों के रखवाले भी हैं।
सदैव भक्तों के, काम साधे - आपने अपने भक्तों के समस्त कार्य पूर्ण (साधे) हैं।
यथा नानी बाई, द्रौपदी, सुदामा आदि।
वहीँ गए जहाँ गए पुकारे- आप वहीं चल पड़ते हो जहाँ पर आपको पुकारा जाता है।
गीता में उपदेश सुनाया- गीता में आपने उपदेश (शिक्षा) दिया।
धर्म युद्ध को धर्म बताया- धर्म की रक्षा की खातिर किया जाने वाला युद्ध धर्म ही कहलाता है।
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा- गीता का उपदेश है की व्यक्ति को कर्म करते जाना चाहिए और फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए।
यह सन्देश तुम्हीं से पाया अमर हैं गीता के बोल सारे- गीता का यह सन्देश आपसे ही प्राप्त किया है, गीता के सभी बोल अमर हैं।
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गोविन्द- श्री कृष्ण को गोविन्द कहा जाता है क्योंकि कृष्ण गायों के परम रक्षक हैं।
हरे - हे दुखों को हर लेने वाले, दुःख भजन।
मुरारी- मेरे अवगुणों को हर लीजिए, जैसे आपने मुरा नाम के राक्षश का वध किया था।
हे नाथ - हे स्वामी, हे ईश्वर।
नारायण - आप ईश्वर हैं। मैं आपका बालक (नर ) वहीँ आप नारायण हैं, मुझे भक्ति दीजिए।
वासुदेवा- वसु से आशय प्राण से है, आप मेरे प्राणों की रक्षा कीजिए।
पितु मात - माता और पिता।
स्वामी- मालिक।
सखा हमारे- हमारे दोस्त।
बंदी गृह के, तुम अवतारी- आप (श्री कृष्ण) बंदी गृह के अवतारी हैं, आपने बंदी गृह में जन्म लिया है )
कहीं जन्में कहीं पले मुरारी- आपका जन्म कहीं हुआ और आप कहीं अन्य स्थान पर पले बढे।
किसी के जाये, किसी के कहाये- कृष्ण माता देवकी और वासुदेव के पुत्र हैं और वे यशोदा और नन्द जी के पुत्र कहलाए।
है अद्भुद, हर बात तिहारी- आप अद्भुद हैं और आपकी (तिहारी) हर एक बात निराली है।
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे- मथुरा के तारे (कृष्ण) गोकुल में चमके हैं।
हे नाथ नारायण वासुदेवा- हे नाथ आप नारायण हैं और आप ही मेरे प्राणों के रक्षक हैं।
श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारी- हे श्री कृष्ण गोविन्द आप ही मुरारी हैं।
अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे- आपके होठों पर मुरली है और हृदय में राधा जी वास करती है।
बट गए दोनों में, आधे-आधे- आप दोनों के मध्य में आधे आधे बँटे हुए हैं।
हे राधा नागर, हे भक्तवत्सल- आप नागर हैं और भक्तों के रखवाले भी हैं।
सदैव भक्तों के, काम साधे - आपने अपने भक्तों के समस्त कार्य पूर्ण (साधे) हैं।
यथा नानी बाई, द्रौपदी, सुदामा आदि।
वहीँ गए जहाँ गए पुकारे- आप वहीं चल पड़ते हो जहाँ पर आपको पुकारा जाता है।
गीता में उपदेश सुनाया- गीता में आपने उपदेश (शिक्षा) दिया।
धर्म युद्ध को धर्म बताया- धर्म की रक्षा की खातिर किया जाने वाला युद्ध धर्म ही कहलाता है।
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा- गीता का उपदेश है की व्यक्ति को कर्म करते जाना चाहिए और फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए।
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