ढूंढो न साई ढूंढो न साई भजन
ढूंढो न साई ढूंढो न साई भजन
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न,
थोड़े दिन पहले मैं शिर्डी में आया था,
अपना दिल मैं शिर्डी में भुलाया था।
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न।।
तेरी यादें, तेरा चेहरा है उसमें रखा,
तेरे मुख-दर्शन, चावड़ी संग माई-द्वारका।
नीम के पेड़ की छाँव से पल वह सजीव,
उसमें इंतज़ार भी है तेरे द्वार का।
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न।।
तातैया भाई, जगन्नो की उसमें भक्ति बसी,
बाबा नवध्या की उसमें है शक्ति भरी।
उसमें भाव हैं मेरे, जग-जय अर्पित किए,
जिन पर नाम तेरा, वो साँसें भी हैं रख दी।
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न।।
तेरी शिर्डी, मेरा काबा, मेरा शिवाला,
होगी भक्ति, इबादत यहाँ, हो मेरा देवाला।
जाने कैसे मैं दिल अपना भुला आया हूँ,
पाया ज्ञान यहाँ, संजीव — तू हो विद्याला।
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न।।
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न,
थोड़े दिन पहले मैं शिर्डी में आया था,
अपना दिल मैं शिर्डी में भुलाया था।
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न।।
तेरी यादें, तेरा चेहरा है उसमें रखा,
तेरे मुख-दर्शन, चावड़ी संग माई-द्वारका।
नीम के पेड़ की छाँव से पल वह सजीव,
उसमें इंतज़ार भी है तेरे द्वार का।
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न।।
तातैया भाई, जगन्नो की उसमें भक्ति बसी,
बाबा नवध्या की उसमें है शक्ति भरी।
उसमें भाव हैं मेरे, जग-जय अर्पित किए,
जिन पर नाम तेरा, वो साँसें भी हैं रख दी।
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न।।
तेरी शिर्डी, मेरा काबा, मेरा शिवाला,
होगी भक्ति, इबादत यहाँ, हो मेरा देवाला।
जाने कैसे मैं दिल अपना भुला आया हूँ,
पाया ज्ञान यहाँ, संजीव — तू हो विद्याला।
ढूंढ़ो न साईं, ढूंढ़ो न।।
Dhoondho Na Sai Full Audio Song | Sai Bhajan | Sanjjio Kohli | T-Series Bhakti Sagar
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Bhajan: Dhoondho Na Sai
Singer: Sanjjio Kohli
Music Director: Sanjjio Kohli
Lyricist: Sanjjio Kohli
Artist: Sanjjio Kohli
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Music Director: Sanjjio Kohli
Lyricist: Sanjjio Kohli
Artist: Sanjjio Kohli
साईं की शिर्डी और उनके प्रेम में डूबे भक्त का भाव हृदय को एक ऐसी तड़प और भक्ति से भर देता है, जो उसे सदा प्रभु की स्मृति में लीन रखता है। यह भाव उस गहरे विश्वास को दर्शाता है कि शिर्डी का पवित्र धाम, जहाँ साईं का वास है, भक्त का असली ठिकाना और तीर्थ है। भक्त का मन शिर्डी की गलियों, चावड़ी, द्वारकामाई और नीम के पेड़ की छाँव में खोया रहता है, जहाँ उसने अपना दिल साईं के चरणों में अर्पित कर दिया।
साईं की शिर्डी में बसी भक्ति और तत्या भाई, जगन्नू जैसे भक्तों की स्मृति भक्त के मन को और गहराई से प्रभु के प्रेम में डुबो देती है। यह भाव उस अटल विश्वास को व्यक्त करता है कि साईं की न्यौछावर और उनकी शक्ति भक्त के जीवन को आलोकित करती है, और उनकी भक्ति में अर्पित भाव ही सच्चा धन है। शिर्डी को अपना काबा, शिवाला और विद्यालय मानने वाला भक्त यह समझता है कि साईं की कृपा से उसे ज्ञान और शांति की प्राप्ति हुई है।
साईं की शिर्डी में बसी भक्ति और तत्या भाई, जगन्नू जैसे भक्तों की स्मृति भक्त के मन को और गहराई से प्रभु के प्रेम में डुबो देती है। यह भाव उस अटल विश्वास को व्यक्त करता है कि साईं की न्यौछावर और उनकी शक्ति भक्त के जीवन को आलोकित करती है, और उनकी भक्ति में अर्पित भाव ही सच्चा धन है। शिर्डी को अपना काबा, शिवाला और विद्यालय मानने वाला भक्त यह समझता है कि साईं की कृपा से उसे ज्ञान और शांति की प्राप्ति हुई है।
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Author - Saroj Jangir
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