गजब की रचना तेरी है रचनाकार
गजब की रचना तेरी है रचनाकार
ग़ज़ब की रचना तेरी है रचनाकार
ग़ज़ब की रचना तेरी है, रचनाकार,
सब को आकार देकर, खुद रहा निराकार।
ग़ज़ब की रचना तेरी है, रचनाकार।।
इतने चेहरे हैं, किस को तेरे जैसा समझूं,
कितने जग हैं, लेकिन है कहाँ मगर तू?
सब को भंडार देकर, खुश रहा सरकार,
ग़ज़ब की रचना तेरी है, रचनाकार।।
मन्नत पूरी हो उसकी, जो भी तुझे पुकारे,
धरती, आकाश, पवन — सब तूने हैं बनाये।
सब को घर-बार देकर, खुद का कहाँ घर-वार,
ग़ज़ब की रचना तेरी है, रचनाकार।।
ग़ज़ब की रचना तेरी है, रचनाकार,
सब को आकार देकर, खुद रहा निराकार।
ग़ज़ब की रचना तेरी है, रचनाकार।।
इतने चेहरे हैं, किस को तेरे जैसा समझूं,
कितने जग हैं, लेकिन है कहाँ मगर तू?
सब को भंडार देकर, खुश रहा सरकार,
ग़ज़ब की रचना तेरी है, रचनाकार।।
मन्नत पूरी हो उसकी, जो भी तुझे पुकारे,
धरती, आकाश, पवन — सब तूने हैं बनाये।
सब को घर-बार देकर, खुद का कहाँ घर-वार,
ग़ज़ब की रचना तेरी है, रचनाकार।।
GAJAB KI RACHNA - गजब की रचना - AMRITA TALUKDAR 08982480470 - SAI BHAJAN
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Song : GAJAB KI RACHNA - गजब की रचना
Lyric : Jitendra Sahu
Male Singer : IMRAN KHAN - 08982480470 ,09893977887
Female Singer : AMRITA TALUKDAR
Music : IMRAN KHAN
Recoding : Swaranjali Studio, Raipur
Lyric : Jitendra Sahu
Male Singer : IMRAN KHAN - 08982480470 ,09893977887
Female Singer : AMRITA TALUKDAR
Music : IMRAN KHAN
Recoding : Swaranjali Studio, Raipur
साईं की रचना और उनकी अनुपम माया का भाव भक्त के हृदय को एक ऐसी भक्ति और विस्मय से भर देता है, जो उसे सृष्टि के रचनाकार की महिमा में डुबो देता है। यह भाव उस गहरे विश्वास को दर्शाता है कि साईं, जो सारी सृष्टि के रचनाकार हैं, स्वयं निराकार रहकर भी हर चेहरे और हर कण में समाए हैं।
साईं की कृपा और उनका प्रेम हर उस भक्त की मनोकामना पूरी करता है, जो सच्चे मन से उनकी पुकार करता है। यह भाव उस अटल विश्वास को व्यक्त करता है कि साईं ने सारी सृष्टि को आकार देकर भी स्वयं को सादगी और निस्वार्थता में रखा, जिससे उनकी महिमा और भी गहरी हो जाती है।
साईं की कृपा और उनका प्रेम हर उस भक्त की मनोकामना पूरी करता है, जो सच्चे मन से उनकी पुकार करता है। यह भाव उस अटल विश्वास को व्यक्त करता है कि साईं ने सारी सृष्टि को आकार देकर भी स्वयं को सादगी और निस्वार्थता में रखा, जिससे उनकी महिमा और भी गहरी हो जाती है।
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Author - Saroj Jangir
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