दौ लागी साइर जल्या पंषी बैठे आइ हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

दौ लागी साइर जल्या पंषी बैठे आइ हिंदी मीनिंग Dou Laagi Saair Jalya

दौ लागी साइर जल्या, पंषी बैठे आइ।
दाधी देह न पालवै सतगुर गया लगाइ॥

Dou Laagi Saair Jalya, Pakhi Baithe Aai.
Daadhi Deh Naa Palave, Satguru Gaya Lagaai.
 
दौ लागी साइर जल्या पंषी बैठे आइ हिंदी मीनिंग Dou Laagi Saair Jalya Hindi Meaning Kabir Ke Dohe

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning
  • दौ लागी- दावाग्नि लगी, अग्नि (ज्ञान की अग्नि )
  • साइर-सागर, समुद्र।
  • जल्या- जल गया।
  • पंषी-पक्षी।
  • दाधी-दग्ध।
  • पालवै -पल्ल्वित होना।
  • सतगुर गया लगाइ-सतगुरु ने लगा दी है।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग kabir Doha Hindi Meaning

सतगुरु ने ज्ञान की अग्नि जला दी है जिससे हृदय रूपी समुद्र जल कर नष्ट होने लगा है। विषय विकार रूपी पक्षी इस आस में किनारों पर बैठने लगे हैं की पुनः पूर्व की स्थिति होगी और वे पुनः साधक पर कब्ज़ा जमा लेंगे, विहार करेंगे। लेकिन सतगुरु ने जो विरह की अग्नि प्रज्जवलित की है उससे शरीर जल चूका है जो पुनः से पुष्ट नहीं होगा और नाहीं विषय विकारों को कोई स्थान मिलेगा। 
 
सतगुरु के द्वारा विरह की जो अग्नि लगाईं गई है वह यूँ ही जलती ही रहेगी। इस साखी में अन्योक्ति अलंकार का उपयोग हुआ है। इस साखी का मूल भाव है की गुरु के द्वारा जो अग्नि जलाई है वह कभी समाप्त नहीं होने वाली है और पुनः कभी विषय विकारों को स्थान नहीं मिलने वाला है।
 
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