जिहि घटि प्रीति न प्रेम रस मीनिंग Jihi Ghati Priti Na Prem Ras Meaning Kabir Ke Dohe

जिहि घटि प्रीति न प्रेम रस मीनिंग Jihi Ghati Priti Na Prem Ras Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Meaning, Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth

जिहि घटि प्रीति न प्रेम रस, फुनि रसना नहीं राम।
ते नर इस संसार में, उपजि षये बेकाम॥
Jihi Ghati Priti Na Prem Ras, Funi Rasna Nahi Raam,
Te nar Is Sansaar Me Upaji Khaye Bekaam.
 
कबीर दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Kabir Doha (Couplet)
 
जिहि घटि -जिस हृदय में।
प्रीति -भक्ति/प्रेम।
-नहीं है।
प्रेम रस- भक्ति रस।
फुनि -पुनः/और।
रसना -जिव्हा।
नहीं राम-इश्वर का वास।
ते नर - ऐसे मनुष्य।
उपजि - पैदा होते हैं।
षये -क्षय को प्राप्त हुए/समाप्त हुए।
बेकाम-निरर्थक/अकारण।
कबीर दोहे का हिंदी मीनिंग : जिनके (जीवात्मा) के मन में हरी का वास नहीं है और नाहीं उनके जिव्हा पर राम का नाम है, ऐसे व्यक्ति तो व्यर्थ ही नष्ट होने के लिए अकारण उत्पन्न हुए हैं। हरि नाम से विमुख ऐसे व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है। 
 
कबीर साहेब स्पष्ट करते हैं की जीवन का उद्देश्य क्या है ? यह जीवन किस उद्देश्य के लिए मिला है। साहेब कहते हैं की ऐसे लोगों का जीवन निरर्थक है जो हरी के नाम का सुमिरण नहीं करते हैं। जिनके हृदय में राम रस नहीं है और जिनकी जिव्हा पर ईश्वर का नाम उच्चारित नहीं किया जाता है। 
 
ऐसे लोगों ने जीवन के उद्देश्य को विस्मृत कर दिया है और निश्चित ही उन्होंने अकारण ही नष्ट होने के लिए जीवन प्राप्त (पैदा हुए हैं ) किया है। उल्लेखनीय है की साहेब ने हरी नाम सुमिरण को ही जीवन की सार्थकता बताया है। इस साखी में घट, प्रीति, प्रेम रसना जैसे तत्सम शब्दों का उपयोग हुआ है। 

Kabir Doha Meaning in English : The person who does not have God in his heart. Whose tongue does not pronounce the name of God. Such a person's life is meaningless.
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