बिना जतन मिलता नहीं, वो प्यारा महबूब, बिना गुरु की कृपा से, वो मारग है दूर, मुझे कहाँ ढूंढे बन्दे, मैं तो तेरे पास मैं, मोको कहाँ, मुझे कहाँ, मोहे कहाँ ढूंढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास मैं।
ना तीरथ में, ना मूरत में, ना एकांत निवास में रे, ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकांत निवास में, ना मंदिर में, ना मस्जिद में, ना काबे कैलाश में, मुझे कहाँ ढूंढे बन्दे, मैं तो तेरे पास मैं, मोको कहाँ, मुझे कहाँ, मोहे कहाँ ढूंढे रे प्राणी, मैं तो तेरे पास मैं।
नर काहे भटके घूम घूम, तेरे राम हैं खट में रूम रूम, नाचे गाले की धुन पर झूम झूम, मत झूमें, मैं तो तेरे पास मैं।
ना मैं जप में, ना मैं तप में, ना मैं ब्रत उपास में रे, ना मैं क्रिया करम में रहता, नाहीं योग संन्यास में, मोको कहाँ, मुझे कहाँ, मोहे कहाँ ढूंढे रे प्राणी, मैं तो तेरे पास मैं।
ना प्राण में, ना पिंड में, ना ब्रह्माण्ड आकाश में रे, ना मैं त्रिकुटी भंवर में, सब स्वांसो के स्वास में, मुझे कहाँ ढूंढे बन्दे, मैं तो तेरे पास मैं, मोको कहाँ, मुझे कहाँ, मोहे कहाँ ढूंढे रे प्राणी, मैं तो तेरे पास मैं। नर काहे भटके घूम घूम, तेरे राम हैं खट में रूम रूम, नाचे गाले की धुन पर झूम झूम, मत झूमें, मैं तो तेरे पास मैं।
खोजी होए तुरत मिल जाऊँ, एक पल की ही तलाश में रे, कहे कबीर सुनो भाई साधो, मैं तो हूँ विशवास में, कहे कबीर सुनो भाई साधो, मैं तो हूँ विशवास में. खोजी करो पल में मिल जाऊँ एक पल की तलाश मे। नर काहे भटके घूम घूम, तेरे राम हैं खट में रूम रूम, नाचे गाले की धुन पर झूम झूम, मत झूमें, मैं तो तेरे पास मैं।
बिना जतन मिलता नहीं वो प्यारा महबूब : बग़ैर जतन / यत्न के तुम्हे तुम्हारा प्यारा महबूब कैसे प्राप्त होगा। जीवात्मा का महबूब उसका मालिक, पूर्ण परम ब्रह्म है। उसकी प्राप्ति ऐसे ही सम्भव नहीं हो सकती है। उसकी प्राप्ति कैसे हो ? यत्न क्या हैं ? यतन कोई कर्मकांड, बाह्य आडंबर, पूजा पाठ, तीरथ आदि का नहीं है। यह तो सहज क्रिया है, क्योंकि समस्त बाह्य क्रियाओं में साहेब नहीं है। हृदय में ही ईश्वर है। बिना गुरु की कृपा से, वो मारग है दूर :मुक्ति का मार्ग बगैर गुरु की कृपा के अधूरा है। मुझे कहाँ ढूंढे बन्दे, मैं तो तेरे पास मैं : तुम मुझे कहाँ पर ढूंढ रहे हो मैं तो तुम्हारे ही पास में हूँ। ना तीरथ में, ना मूरत में, ना एकांत निवास में रे: साहेब आगे कहते हैं की ईश्वर किसी तीर्थ, मूर्ति पूजा या संन्यास लेकर एकांत वास में नहीं है। ना मंदिर में, ना मस्जिद में, ना काबे कैलाश में : तुमने मेरे जो ठिकाने बना रखे हैं, यथा मंदिर मस्जिद, मैं वहां पर भी नहीं हूँ। नर काहे भटके घूम घूम, तेरे राम हैं खट में रूम रूम : नर तुम क्यों भटक रहे हो मैं तो तेरे हृदय और रोम रोम में व्याप्त हूँ। नाचे गाले की धुन पर झूम झूम, मत झूमें : भक्ति में नाच गाले, लेकिन मत झूमे से आशय है की माया के भरम में मत झूमों। ना मैं जप में, ना मैं तप में, ना मैं ब्रत उपास में रे : आगे साहेब की वाणी है की मैं की जाप, ताप और व्रत और उपवास में नहीं हूँ। यह सभी बाह्य क्रियाएं हैं। ना मैं क्रिया करम में रहता, नाहीं योग संन्यास में : ना तो मैं किसी कर्म/क्रिया में हूँ और नाहीं किसी योग और संन्यास में ही हूँ। ना प्राण में, ना पिंड में, ना ब्रह्माण्ड आकाश में रे : ना तो मैं प्राण में हूँ और ना ही किसी पिंड (वस्तु विशेष) में ना आकाश और ना ही आकाश में। उल्लेखनीय है की समस्त ब्रह्माण्ड का रचियता होकर भी वह ब्रह्माण्ड में नहीं है। ना मैं त्रिकुटी भंवर में, सब स्वांसो के स्वास में : मैं किसी त्रिकुटी या भंवर में नहीं हूँ और मैं तो सभी की स्वांसों में व्याप्त हूँ। खोजी होए तुरत मिल जाऊँ, एक पल की ही तलाश में रे : यदि मुझे कोई सच्चे दिल से से खोजे तो मैं तुरंत मिल जाता हूँ। कहे कबीर सुनो भाई साधो, मैं तो हूँ विशवास में : कबीर साहेब वाणी देते हैं की मैं तो विश्वास में हूँ।
मुझे कहाँ तूं ढूंढे रे बन्दे | Mujhko Kaha Tu Dhunde Re Bande | Prakash Gandhi | PMC Sant Sandesh
Bina Jatan Milata Nahin, Vo Pyaara Mahabub, Bina Guru Ki Krpa Se, Vo Maarag Hai Dur, Mujhe Kahaan Dhundhe Bande, Main To Tere Paas Main, Moko Kahaan, Mujhe Kahaan, Mohe Kahaan Dhundhe Re Bande, Main To Tere Paas Main.
Na Tirath Mein, Na Murat Mein, Na Ekaant Nivaas Mein Re, Na Tirath Mein Na Murat Mein, Na Ekaant Nivaas Mein, Na Mandir Mein, Na Masjid Mein, Na Kaabe Kailaash Mein, Mujhe Kahaan Dhundhe Bande, Main To Tere Paas Main, Moko Kahaan, Mujhe Kahaan, Mohe Kahaan Dhundhe Re Praani, Main To Tere Paas Main.
Nar Kaahe Bhatake Ghum Ghum, Tere Raam Hain Khat Mein Rum Rum, Naache Gaale Ki Dhun Par Jhum Jhum, Mat Jhumen, Main To Tere Paas Main.
Na Main Jap Mein, Na Main Tap Mein, Na Main Brat Upaas Mein Re, Na Main Kriya Karam Mein Rahata, Naahin Yog Sannyaas Mein, Moko Kahaan, Mujhe Kahaan, Mohe Kahaan Dhundhe Re Praani, Main To Tere Paas Main.
Na Praan Mein, Na Pind Mein, Na Brahmaand Aakaash Mein Re, Na Main Trikuti Bhanvar Mein, Sab Svaanso Ke Svaas Mein, Mujhe Kahaan Dhundhe Bande, Main To Tere Paas Main, Moko Kahaan, Mujhe Kahaan, Mohe Kahaan Dhundhe Re Praani, Main To Tere Paas Main. Nar Kaahe Bhatake Ghum Ghum, Tere Raam Hain Khat Mein Rum Rum, Naache Gaale Ki Dhun Par Jhum Jhum, Mat Jhumen, Main To Tere Paas Main.
Khoji Hoe Turat Mil Jaun, Ek Pal Ki Hi Talaash Mein Re, Kahe Kabir Suno Bhai Saadho, Main To Hun Vishavaas Mein, Kahe Kabir Suno Bhai Saadho, Main To Hun Vishavaas Mein. Khoji Karo Pal Mein Mil Jaun Ek Pal Ki Talaash Me. Nar Kaahe Bhatake Ghum Ghum, Tere Raam Hain Khat Mein Rum Rum, Naache Gaale Ki Dhun Par Jhum Jhum, Mat Jhumen, Main To Tere Paas Main.
⇨Track : Mujhe Kahan Dhundhe Bande ⇨Album : Sant Sandesh ⇨Singer : Prakash Gandhi ⇨Music : Gandhi Brothers (Subhash - Prakash Gandhi ) ⇨Composer :- Subhash Gandhi ⇨Lyrics : Param Sant Saheb Kabir Ji ⇨Music Label : Power Music Company