Naiya Padi Majhdhar Meaning Sudhanshu Ji Maharaj
नैया पड़ी मंझधार,
गुरु बिन कैसे लागे पार।
नैया पड़ी मंझधार,
गुरु बिन कैसे लागे पार।
मैं अपराधी जनम जनम का,
नखसिख भरा विकार,
तुम दाता दुःख भंजना,
मेरी करो संभाल,
गुरु बिन कैसे लागे पार,
नैया पड़ी मंझधार,
गुरु बिन कैसे लागे पार,
हरि बिन कैसे लागे पार।
अवगुन दास कबीर के,
बहुत हैं (बकसहु) गरीब नवाज़,
जो मैं पूत कपूत हूँ,
तो भी (तउ) पिता को लाज,
गुरु बिन कैसे लागे पार॥
अन्तर्यामी एक तुम्ही हो,
जीवन के आधार,
जो तुम छोडो साथ प्रभु जी,
कौन लगाए पास,
गुरु बिन कैसे लागे पार,
नैया पड़ी मंझधार,
गुरु बिन कैसे लागे पार,
हरि बिन कैसे लागे पार।
यतन बहुत सुख के किये,
दुःख का किया ना तोड़,
सुख दुःख साथी साइयाँ,
हरिभावे सो होय,
गुरु बिन कैसे लागे पार,
नैया पड़ी मंझधार,
गुरु बिन कैसे लागे पार,
हरि बिन कैसे लागे पार।
साहिब तुम मत भूलियो,
लाख लोभ मिल जाए,
हम से तुमरे बहुत हैं,
तुम सो हमारों नाहीं,
गुरु बिन कैसे लागे पार,
नैया पड़ी मंझधार,
गुरु बिन कैसे लागे पार,
हरि बिन कैसे लागे पार।
Naiya Padi Majdhaar - Bhajan By Sudhanshu Ji Maharaj
Naiya Padee Manjhadhaar,
Guru Bin Kaise Laage Paar.
Naiya Padee Manjhadhaar,
Guru Bin Kaise Laage Paar.
नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार
नैया पड़ी मंझधार,गुरु बिन कैसे लागे पार :
इस भजन में साहेब ने गुरु की महिमा को प्रकट किया है। गुरु ही साधक को इस
भव से पार करवा सकता है क्योंकि वह ज्ञान का दीपक जलाता है। गुरु के बिन
मझधार से नैया कैसे पार हो सकती है।
मैं अपराधी जनम जनम का, नखसिख भरा विकार : हे ईश्वर मैं तो जनम जनम का अपराधी हूँ। मेरे नाखून से लेकर सर तक अनेकों विकार भरे पड़े हैं।
तुम दाता दुःख भंजना, मेरी करो संभाल : आप दाता हैं और दुःख का भंजन करने वाले हैं। आप ही मेरी संभाल करो।
अवगुन दास कबीर के, बहुत हैं (बकसहु) गरीब नवाज़: मेरे अवगुण बहुत हैं और आप ही मेरे ग़रीब नवाज हैं।
जो मैं पूत कपूत हूँ,तो भी (तउ) पिता को लाज : यदि मैं कपूत हूँ तो भी दोष आपको ही है क्योंकि आप ही मेरे पिता हैं।
अन्तर्यामी एक तुम्ही हो जीवन के आधार : आप तीनों लोको की, मन की बात को जानने वाले अन्तर्यामी हो और आप ही मेरे जीवन के आधार हो।
जो तुम छोडो साथ प्रभु जी, कौन लगाए पास : हे प्रभु जी जो आप मेरा साथ छोड़ दो तो कौन मुझे अपने पास लगा सकता है।
गुरु बिन कैसे लागे पार, नैया पड़ी मंझधार : हे गुरु देव आपके बिना कौन मुझे इस भव से पार कर सकता है।
यतन बहुत सुख के किये, दुःख का किया ना तोड़ : सुख के लिए अनेकों यत्न किए।
सुख दुःख साथी साइयाँ : सुख और दुःख का सच्चा साथी ईश्वर है।
हरिभावे सो होय : जो ईश्वर को अच्छा लगता है वही होता है।
साहिब तुम मत भूलियो : तुम साहेब को मत भूलो।
लाख लोभ मिल जाए : लाखों लोभ और लालच भले ही मिल जाएं। अनेकों लालच के उपरान्त भी सच्चे साहिब को मत भूलो।
हम से तुमरे बहुत हैं, तुम सो हमारों नाहीं : हमारे जैसे (याचक) आपके पास बहुत हैं लेकिन आप के जैसे हमारे पास कोई और नहीं है।
Naiya Padi Majdhaar, Guru Bin Kaise Laage Paar : Soulful Bhajan By His Holiness Sudhanshu Ji Maharaj
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