तेरा मंगल, तेरा मंगल, तेरा मंगल होय रे सबका मंगल,
सबका मंगल, सबका मंगल होय रे
जिस गुरुदेव ने धरम दिया है, उनका मंगल होय रे,
जिस जननी ने जनम दिया है, उसका मंगल होय रे
पाला-पोसा और बढ़ाया, उस पिता का मंगल होय रे
इस जगत के सब दुखियारे प्राणी का मंगल होय रे
जल में, थल में और गगन में सबका मंगल होय रे
अन्तरमन के गाँठें टूटे, अन्तर निर्मल होय रे
राग, द्वेष और मोह मिट जाये, शील समाधि होय रे
शुद्ध धर्म धरती पर जागे, पाप पराजित होय रे
इस धरती के तर तिन में, कण-कण में धर्म समोय रे
शुद्ध धर्म जन-जन में जागे, घर-घर शांति समोय रे
तेरा मंगल, मेरा मंगल, सबका मंगल होय रे
सबका मंगल, सबका मंगल होय रे
जिस गुरुदेव ने धरम दिया है, उनका मंगल होय रे,
जिस जननी ने जनम दिया है, उसका मंगल होय रे
पाला-पोसा और बढ़ाया, उस पिता का मंगल होय रे
इस जगत के सब दुखियारे प्राणी का मंगल होय रे
जल में, थल में और गगन में सबका मंगल होय रे
अन्तरमन के गाँठें टूटे, अन्तर निर्मल होय रे
राग, द्वेष और मोह मिट जाये, शील समाधि होय रे
शुद्ध धर्म धरती पर जागे, पाप पराजित होय रे
इस धरती के तर तिन में, कण-कण में धर्म समोय रे
शुद्ध धर्म जन-जन में जागे, घर-घर शांति समोय रे
तेरा मंगल, मेरा मंगल, सबका मंगल होय रे
यह भजन "तेरा मंगल, तेरा मंगल, सबका मंगल होय रे" एक अद्भुत ईश्वर के चरणों में प्रार्थना है, जिसमें संपूर्ण जगत के कल्याण की कामना की गई है। मूल तत्व है की जो भी सात्विक है, ईश्वर का भक्त है वह अवश्य ही सभी की कामना करता है। इस भजन में गुरु, माता, पिता और प्रत्येक जीव के मंगल की कामना करते हुए, उनके योगदान का मान रखा गया है। गुरु को धर्म का मार्गदर्शक मानते हुए उनके लिए शुभकामनाएँ दी गई हैं, जबकि माता-पिता, जिन्होंने जन्म और पालन-पोषण किया है, उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया है।
भजन में यह प्रार्थना की गई है कि जल, थल, गगन, और हर प्राणी का कल्याण हो और उनके दुख दूर हों। यह प्रार्थना अंतर्मन को निर्मल बनाने की बात करती है, जिसमें राग, द्वेष और मोह से मुक्ति मिले। सभी में शांति, धर्म और सच्चाई का जागरण हो, और पाप का नाश हो।
भजन में यह प्रार्थना की गई है कि जल, थल, गगन, और हर प्राणी का कल्याण हो और उनके दुख दूर हों। यह प्रार्थना अंतर्मन को निर्मल बनाने की बात करती है, जिसमें राग, द्वेष और मोह से मुक्ति मिले। सभी में शांति, धर्म और सच्चाई का जागरण हो, और पाप का नाश हो।
सब का मंगल होय रे iतेरा मंगल...मेरा मंगल...सबका मंगल होय रे.. i
Sabaka Mangal, Sabaka Mangal Hoy Re
Jis Gurudev Ne Dharam Diya Hai, Unaka Mangal Hoy Re,
Jis Jananee Ne Janam Diya Hai, Usaka Mangal Hoy Re
Paala-posa Aur Badhaaya, Us Pita Ka Mangal Hoy Re
Is Jagat Ke Sab Dukhiyaare Praanee Ka Mangal Hoy Re
Jal Mein, Thal Mein Aur Gagan Mein Sabaka Mangal Hoy Re
Antaraman Ke Gaanthen Toote, Antar Nirmal Hoy Re
Raag, Dvesh Aur Moh Mit Jaaye, Sheel Samaadhi Hoy Re
Shuddh Dharm Dharatee Par Jaage, Paap Paraajit Hoy Re
Is Dharatee Ke Tar Tin Mein, Kan-kan Mein Dharm Samoy Re
Shuddh Dharm Jan-jan Mein Jaage, Ghar-ghar Shaanti Samoy Re
Tera Mangal, Mera Mangal, Sabaka Mangal Hoy Re
Jis Gurudev Ne Dharam Diya Hai, Unaka Mangal Hoy Re,
Jis Jananee Ne Janam Diya Hai, Usaka Mangal Hoy Re
Paala-posa Aur Badhaaya, Us Pita Ka Mangal Hoy Re
Is Jagat Ke Sab Dukhiyaare Praanee Ka Mangal Hoy Re
Jal Mein, Thal Mein Aur Gagan Mein Sabaka Mangal Hoy Re
Antaraman Ke Gaanthen Toote, Antar Nirmal Hoy Re
Raag, Dvesh Aur Moh Mit Jaaye, Sheel Samaadhi Hoy Re
Shuddh Dharm Dharatee Par Jaage, Paap Paraajit Hoy Re
Is Dharatee Ke Tar Tin Mein, Kan-kan Mein Dharm Samoy Re
Shuddh Dharm Jan-jan Mein Jaage, Ghar-ghar Shaanti Samoy Re
Tera Mangal, Mera Mangal, Sabaka Mangal Hoy Re
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Author - Saroj Jangir
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