जा कारणि मैं ढूंढता सनमुख मिलिया आइ Ja Karani Main Dhundhata Sanmukh Miliya

जा कारणि मैं ढूंढता सनमुख मिलिया आइ मीनिंग Ja Karani Main Dhundhata Sanmukh Miliya Aayi

जा कारणि मैं ढूंढता, सनमुख मिलिया आइ।
धन मैली पिव ऊजला, लागि न सकौं पाइ॥

Ja Karani Main Dhundhta, Sanmukh Miliya Aai.
Dhan Maili Piu Ujala, Laagi Na Sako Paai.
 
जा कारणि मैं ढूंढता, सनमुख मिलिया आइ। धन मैली पिव ऊजला, लागि न सकौं पाइ॥

कबीर दोहा/साखी हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha/Sakhi Hindi Meaning
  • जा कारणि : जिस कारण से, जिस निमित्त से।
  • मैं ढूंढता : जीवात्मा ढूंढती है।
  • सनमुख : सामने, प्रत्यक्ष रूप से, प्रमाणित रूप से।
  • मिलिया आइ : आकर मिला।
  • धन : स्त्री, नारी, यहाँ पर जीवात्मा से अर्थ लिया गया है.
  • मैली : कुत्सित, पाप से भरी हुई।
  • पिव ऊजला : स्वामी उजला है, ईश्वर प्रकाशित है।
  • लागि न सकौं : लग नहीं सकती है (चरण छूने में असमर्थ है )
  • पाइ : चरण, पाँव।

कबीर दोहा/साखी हिंदी अर्थ मीनिंग Kabir Doha/Sakhi Hindi Meaning

जीवात्मा ईश्वर की प्राप्ति के लिए व्यर्थ में स्थान स्थान पर भटकती रहती है। विविध जतन करती है, ब्रह्म से मिलने के लिए लेकिन आज बड़ी सहजता से ईश्वर समक्ष आकर खड़े हो गए हैं लेकिन जीवात्मा सांसारिक विषयों से इतनी मैली, कुत्सित हो चुकी है की वह अपने स्वामी के चरण पड़ने के काबिल भी नहीं है। साहेब ने अनेकों स्थान पर कहा है की जीवात्मा अत्यंत ही निर्मल होती है लेकिन वह इस संसार में आकर मैली हो जाती है। एक स्थान पर साहेब कहते हैं की जैसी चदरिया उन्होंने ली वैसी ही वापस लौटा दी है। 
 
इसे बड़ी ही सावधानी से रखना होता है। आत्मा को स्त्री कहकर संदेस है की वह मन ही मन संकुचित हो रही है। वह कैसे उस ब्रह्म के चरण में लगे जो प्रकाशित है क्योंकि वह तो मैली है। उसे अंदर से कुंठा हो रही है। विषय वासनाएं, रजोगुण, तमोगुण में वह लिप्त है। 

इस दोहे का सन्देश है की हमें ईश्वर के सानिध्य में जाने से पहले स्वंय को पवित्र करना है। समस्त पाप विकार, विषय वासनाओं को त्याग करके ही हम उस पूर्ण परम ब्रह्म के दर्शन के पात्र बन पाते हैं। 

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