हेरत हेरत हे सखी रह्या कबीर हिराइ मीनिंग Herat Herat Hey Sakhi Meaning Kabir Ke Dohe

हेरत हेरत हे सखी रह्या कबीर हिराइ मीनिंग Herat Herat Hey Sakhi Meaning Kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe HIndi Meaning (Hindi Arth/Bhavarth Sahit)

हेरत हेरत हे सखी, रह्या कबीर हिराइ।
समंद समाना बूँद मैं, सो कत हेरह्या जाइ॥

Herat Herat Hey Sakhi, Rahya Kabir Hiraai,
Samand Samaana Bund Me, So Kat Herya Jaai.

हेरत हेरत : ढूंढते ढूंढते, खोजते हुए.
हे सखी : सखी से सम्बोधन.
रह्या कबीर हिराइ : कबीर साहेब स्वंय ही खो गए हैं.
समंद : समुद्र में/पूर्ण ब्रह्म में.
समाना : समा गई है.
बूँद : एक बूंद.
सो कत : वह कैसे.
हेरह्या जाइ : ढूँढा जा सकता है.

इससे पूर्व के भाँती (हेरत हेरत हे सखी, रह्या कबीर हिराइ, बूँद समानी समंद मैं, सो कत हेरी जाइ) इस साखी का भी मूल भाव है की जीवात्मा पूर्ण परमात्मा में मिल गई है, अब उसे ढूंढ पाना संभव नहीं है. समुद्र बूँद में समाँ गया है जिसे अब प्रथक कर पाना संभव नहीं है. इस साखी का भाव है की अहम के शांत हो जाने पर द्वेत भाव समाप्त हो जाता है. जीवात्मा और परमात्मा का विलय हो जाता है. अब जीवात्मा परमात्मा ही बन जाती है. आत्मा और परमात्मा का भेद समाप्त हो गया है. यह भक्ति की एक अवस्था है जब सभी भ्रम मिट जाते हैं और समस्त हृदय के अन्दर ही नजर आने लगता है.
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